Surrogacy Meaning in Hindi: सरोगेसी की पूरी जानकारी और फायदे

घर में किलकारी सुनना हर दंपती का सपना होता है, लेकिन कई बार प्राकृतिक गर्भधारण में समस्या आ जाती है। ऐसे में सरोगेसी (Surrogacy Meaning in Hindi) एक प्रभावी विकल्प बनकर उभरती है। सरोगेसी की प्रक्रिया में, एक महिला दूसरे दंपती के लिए गर्भवती होती है और उनके बच्चे को अपनी कोख में 9 महीने तक पालती है। यह उन दंपतियों के लिए विशेष रूप से मददगार है जो प्राकृतिक रूप से माता-पिता नहीं बन पाते। सरोगेसी (Surrogacy) को किराए की कोख भी कहा जाता है।
In this Article
Diwya Vatsalya Mamta IVF और Dr Rashmi Prasad की विशेषज्ञ टीम महिलाओं को सरोगेसी से जुड़ी हर जानकारी, प्रक्रिया, कानूनी पहलू और स्वास्थ्य संबंधी सलाह प्रदान करती है, ताकि वे सुरक्षित और स्वस्थ गर्भावस्था का अनुभव कर सकें।
सरोगेसी क्या है? (Surrogacy Meaning in Hindi)
Surrogacy Kya Hai? सरोगेसी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें वह महिला जो गर्भधारण करने में असमर्थ होती है या बार-बार गर्भपात की समस्या से जूझ रही हो, किसी दूसरी महिला की मदद से माता-पिता बनने का अवसर पाती है। सरोगेसी को किराए की कोख भी कहां जाता है। जिसमें कोई महिला किसी दूसरे दंपती के बच्चे को गर्भ में पालती है। जिसे सरोगेट मदर कहा जाता है। सिंगल पेरेंट भी सरोगेसी के माध्यम से बच्चे का सुख प्राप्त कर सकते हैं।
सरोगेसी की प्रक्रिया (Process of Surrogacy in Hindi)
Surrogacy Meaning in Hindi समझने के बाद, अब हम सरोगेसी की प्रक्रिया (Surrogacy Process) के बारे में विस्तार से जानेंगे। यह एक संवेदनशील और व्यवस्थित प्रक्रिया है, जिसमें कुछ महत्वपूर्ण नियमों और चरणों का पालन करना आवश्यक होता है।
1. सरोगेट मदर का चयन (Selection of Surrogate Mother)
सरोगेसी प्रक्रिया की शुरुआत होती है सरोगेट मदर के चुनाव से। आम तौर पर सरोगेट मदर बच्चे की चाह रखने वाले माता-पिता के करीबी में से एक होती है। या फिर जो महिला संपूर्ण स्वस्थ हो उसे सरोगेट मदर के तौर पर चुना जाता है।
2. कानूनी समझौता (Legal Agreement)
सरोगेसी के लिए एक मजबूत और स्पष्ट कानूनी अग्रीमेंट बनाना बेहद जरूरी है। सरोगेसी के जरिए बच्चे की चाह रखने वाले माता-पिता और सरोगेट मदर के बीच यह कानूनी अग्रीमेंट बनाया जाता है। जिस मुताबिक, सरोगेट मदर 9 महीने तक बच्चे को कोख में पालेगी और फिर उसका जन्म होते हीं लीला पेरेंट को सोंफ देगी।
3. IVF और भ्रूण प्रत्यारोपण (IVF and Embryo Transfer)
सरोगेसी प्रक्रिया में, महिला के एग और पुरुष के स्पर्म को आईवीएफ (IVF) तकनीक के माध्यम से लैब में फर्टिलाइज किया जाता है। बाद में इसे सरोगेट मदर के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है।
4. गर्भावस्था और बच्चे का जन्म (Pregnancy and Childbirth)
सरोगेट मदर 9 महीने तक बच्चे को अपनी कोख में पालती है और सुरक्षित गर्भावस्था सुनिश्चित करती है। निर्धारित समय पर बच्चे का जन्म होता है, जिसके बाद बच्चे को लीगल पेरेंट को सौंप दिया जाता है और सरोगेट मदर को पूरी फीस भी दे दी जाती है।
Senior IVF Specialist Dr. Rashmi Prasad और उनकी विशेषज्ञ टीम सरोगेसी से जुड़ी हर समस्या में आपका भरोसेमंद मार्गदर्शन करने के लिए सदैव तत्पर हैं। सुरक्षित और स्वस्थ जीवन के लिए समय पर सही सलाह और उपचार लेना अत्यंत आवश्यक है।
सरोगेसी के प्रकार (Types of Surrogacy in Hindi)
सरोगेसी मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है – ट्रेडिशनल सरोगेसी और जेस्टेशनल सरोगेसी। दोनों प्रकारों में प्रक्रिया और जिम्मेदारियां अलग होती हैं, जिन्हें समझना आवश्यक है।
1. ट्रेडिशनल सरोगेसी (Traditional Surrogacy)
ट्रेडिशनल सरोगेसी में सरोगेट मदर ही बच्चे की बायोलॉजिकल मदर होती है। इसमें डोनर या पिता की चाह रखने वाले पुरुष के स्पर्म को सरोगेट मदर के एग के साथ फर्टिलाइज किया जाता है। हालांकि सरोगेट मदर बच्चे के जन्म के बाद उनके माता-पिता को सौंप देती है।
2. जेस्टेशनल सरोगेसी (Gestational Surrogacy)
इस सरोगेसी में ट्रेडिशनल सरोगेसी की तरह सरोगेट मदर के एग का उपयोग नहीं किया जाता। इसमें बच्चे की चाह रखने वाले पिता के स्पर्म और माता के एग को फर्टिलाइज कर सरोगेट मदर में प्रत्यारोपित किया जाता है। ऐसे में सरोगेट मदर बच्चे की बायोलॉजिकल मदर नहीं रहती।
सरोगेसी के फायदे (Benefits of Surrogacy in Hindi)
सरोगेसी (Surrogacy) उन दंपतियों और सिंगल पेरेंट्स के लिए एक नई उम्मीद लेकर आती है, जो किसी कारणवश प्राकृतिक रूप से माता-पिता नहीं बन सकते। सरोगेसी के कई फायदे हैं,
- इनफर्टिलिटी का समाधान (Solution for Infertility): जो दंपती इनफर्टिलिटी या बार-बार गर्भपात जैसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं, उनके लिए सरोगेसी के जरिए संतान प्राप्ति का सपना पूरा हो सकता है।
- आनुवंशिक बीमारियों से सुरक्षा (Protection from Genetic Disorders): अगर माता-पिता में से किसी को आनुवंशिक बीमारी है, तो सरोगेसी के माध्यम से स्वस्थ भ्रूण तैयार कर बच्चे को इन बीमारियों से बचाया जा सकता है।
- बायोलॉजिकल पेरेंट्स बनने का मौका (Opportunity to be Biological Parents) : सरोगेसी के जरिए इच्छुक माता-पिता अपने स्पर्म और एग का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे दोनों ही बच्चे के बायोलॉजिकल पेरेंट्स कहलाते हैं।
यदि आप भी सरोगेसी के बारे में अधिक जानकारी या सलाह चाहते हैं, तो IVF & Fertility Specialist डॉक्टर से संपर्क करें और अपने माता-पिता बनने की यात्रा को आसान बनाएं।
सरोगेसी की प्रक्रिया में चुनौतियां और संभावित जोखिम (Challenges and Risks in the Surrogacy Process)
Surrogacy Meaning in Hindi समझने के बाद, यह जानना भी जरूरी है कि सरोगेसी के कई फायदे होने के बावजूद इसमें कुछ चुनौतियां और संभावित जोखिम भी जुड़े होते हैं। आइये जानते है इसको अछे से :
भावनात्मक और कानूनी चुनौतियां (Emotional and Legal Challenges)
कभी कभी ट्रेडिशनल सरोगेसी में सरोगेट मदर बच्चे के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ जाती है, ऐसे में बाद में बच्चे को लीगल पेरेंट्स को सौंपने में दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। कुछ देशों में तो इस बात को ध्यान में रखते हुए ट्रेडिशनल सरोगेसी पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
स्वास्थ्य संबंधी जोखिम (Health Risks)
सरोगेट मदर को भी सामान्य गर्भावस्था की तरह समय से पहले प्रसव (प्रीमैच्योर डिलीवरी), हाई ब्लड प्रेशर, प्री-एक्लेम्पसिया, पोस्टपार्टम हैमरेज जैसी जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है।
मेडिकल और प्रक्रिया संबंधी चुनौतियां (Medical and Procedural Challenges)
IVF और भ्रूण प्रत्यारोपण की प्रक्रिया जटिल होती है, जिसमें कई बार बार-बार प्रयास करने पड़ सकते हैं और सफलता की गारंटी नहीं होती।
आर्थिक और सामाजिक चुनौतियां (Financial and Social Challenges)
सरोगेसी प्रक्रिया महंगी हो सकती है, जिसमें मेडिकल, लीगल और अन्य खर्चे शामिल होते हैं, साथ ही साथ समाज में सरोगेसी को लेकर कई बार गलतफहमियां भी देखने को मिलते हैं।
सरोगेसी के लिए कानूनी पहलू (Legal Aspects of Surrogacy)
Surrogacy Meaning in Hindi समझने के बाद, यह जानना जरूरी है कि भारत में सरोगेसी को लेकर सख्त कानून बनाए गए हैं, ताकि इसका दुरुपयोग न हो और सरोगेट मदर व बच्चे के अधिकारों की रक्षा की जा सके। इसके लिए सरोगेसी बिल भी लाया गया है जिसे 2019 में पास किया गया था और बाद में सरोगेसी (रेगुलेशन) रूल्स 2022 में संशोधन भी किया गया है। जिससे पुराने कानून में कई बदलाव किए गए हैं। अधिक जानकारी चाहते हैं, तो Surrogacy (Regulation) Rules, 2022 PDF अवश्य देखें।
भारत में सरोगेसी के मुख्य कानूनी नियम
- केवल विवाहित भारतीय दंपती के लिए अनुमति : भारत में सरोगेसी का लाभ केवल कानूनी रूप से विवाहित भारतीय महिला और पुरुष को ही मिल सकता है। पुरुष की उम्र 26-55 वर्ष और महिला की उम्र 23-50 वर्ष के बीच होनी चाहिए।
- विधवा या तलाकशुदा महिला: 35 से 45 वर्ष की विधवा या तलाकशुदा महिला भी सरोगेसी का लाभ उठा सकती है, लेकिन उन्हें अपने ही एग का उपयोग करना अनिवार्य है।
- व्यावसायिक सरोगेसी पर प्रतिबंध : भारत में कमर्शियल या व्यावसायिक सरोगेसी पूरी तरह प्रतिबंधित है।
- सरोगेट मदर की योग्यता : सरोगेट मदर की उम्र 25-35 वर्ष होनी चाहिए, वह पहले से शादीशुदा और उसका कम से कम एक स्वस्थ बच्चा होना चाहिए।
सरोगेट मदर और सरोगेट बेबी के बीच का संबंध (Relationship Between Surrogate Mother and Surrogate Baby)
Surrogacy meaning in Hindi को सही से समझने के लिए, सरोगेट मदर और सरोगेट बेबी के बीच के अनूठे और संवेदनशील संबंध को जानना जरूरी है। सरोगेट मदर (Surrogate Mother in Hindi) वह महिला होती है, जो किसी अन्य दंपत्ति या व्यक्ति के लिए गर्भधारण करती है और बच्चे को जन्म देती है। वहीं, सरोगेट बेबी (Surrogate Baby Meaning in Hindi) वह बच्चा होता है, जो सरोगेट मदर की कोख से जन्म लेता है, लेकिन जैविक रूप से वह इच्छुक माता-पिता का होता है।
सरोगेट मदर की भूमिका (Role of Surrogate Mother)
सरोगेसी की प्रक्रिया में सरोगेट मदर का योगदान सबसे महत्वपूर्ण होता है। वह अपनी शारीरिक और भावनात्मक ऊर्जा किसी अन्य परिवार के सपनों को पूरा करने के लिए समर्पित करती है।
निष्कर्ष
Surrogacy meaning in Hindi सिर्फ एक चिकित्सा प्रक्रिया नहीं, बल्कि उन दंपतियों के लिए आशा की किरण है, जो प्राकृतिक रूप से संतान प्राप्ति में असमर्थ हैं। सरकार द्वारा बनाए गए सख्त कानून और समय-समय पर किए गए संशोधनों के कारण यह प्रक्रिया अब और भी सुरक्षित, पारदर्शी और भरोसेमंद बन गई है।
यदि आप भी सरोगेसी (Surrogacy) से जुड़ी जानकारी या मार्गदर्शन चाहते हैं, तो Surrogacy and IVF Specialist Dr. Rashmi Prasad और Diwya Vatsalya Mamta IVF की विशेषज्ञ सेवाओं का लाभ उठाकर अपने सभी सवालों के जवाब पा सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
सरोगेसी बच्चा कैसे पैदा होता है?
इस प्रक्रिया में डॉक्टर इच्छित माता या एग डोनर के एग को इच्छित पिता या स्पर्म डोनर के स्पर्म से फर्टिलाइज करके भ्रृण बनाते हैं और उसे बाद में सरोगेट मदर के गर्भाशय में प्रस्थापित किया जाता है।
सरोगेसी के नियम क्या है?
कोई भी दंपती किसी डोनर के स्पर्म या एग का इस्तेमाल कर बच्चे को जन्म दे सकते हैं। हालांकि सरकार के कानून के मुताबिक मेडिकल बोर्ड से इसकी अनुमति लेना अनिवार्य है।
सरोगेसी और IVF में क्या अंतर है?
सरोगेसी में भ्रृण को इच्छित महिला में प्रत्यारोपित किया जाता है, जबकि IVF में भ्रृण को लेबोरेटरी में विकसित किया जाता हैं और बाद में सरोगेट मदर के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है।
सरोगेसी कौन करवा सकता है?
जो दंपती प्राकृतिक रूप से माता-पिता नहीं बन सकते वे सरोगेसी करवा सकते हैं। हालांकि सरोगेसी के लिए पुरुष की उम्र 26 से 55 वर्ष और महिला की उम्र 23 से 50 वर्ष के बीच में होनी चाहिए।
सरोगेट मदर बनने के क्या मापदंड होते हैं?
सरोगेट मदर की उम्र 25 से 35 वर्ष के बीच होनी चाहिए और महिला अपने जीवनकाल में सिर्फ एक बार हीं सरोगेट मदर बन सकती है। महिला की खुद की संतान हो और उसकी कम से कम एक बार बिना किसी जटिलता के गर्भावस्था रही हो। इसके अलावा सरोगेट मदर बनने से पहले महिला की शारीरिक और मानसिक जांच भी की जाती है।
क्या कुंवारी लड़की सरोगेसी करवा सकती है?
भारत में सरोगेसी कानून के मुताबिक, अनमैरिड कपल्स और कुंवारी लड़की या लड़का सरोगेसी नहीं करवा सकते। हालांकि विधवा या डिवोर्सी महिला सरोगेसी के जरिए संतान सुख प्राप्त कर सकती है।
सरोगेसी की अनुमति किसे दी जाती है?
जो दंपती इनफर्टिलिटी, गर्भपात की समस्या से जुझ रहे हों, कोई आनुवंशिक बीमारी हों जिसकी वजह से गर्भधारण न हो पा रहा हों, व्यावसायिक स्वार्थ न जुड़ा हों जैसे सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर हीं सरोगेसी की अनुमति दी जाती है।
भारत में सरोगेसी का खर्च कितना है?
भारत में सरोगेसी की लागत 10 लाख रुपए से लेकर 15 लाख रुपए तक होती हैं, इसमें कानून अग्रीमेंट का खर्च, मेडिकल खर्च, स्क्रीनिंग जैसे खर्च भी शामिल होते हैं।