बच्चेदानी मतलब की गर्भाशय महिला प्रजनन का एक महत्वपूर्ण अंग होता है, जिसमें जन्म से पहले बच्चे का पालन-पोषण होता है। प्रेग्नेंसी में गर्भाशय का आकार बढ़ना आम बात है लेकिन बिना प्रेग्नेंसी के गर्भाशय का आकार बड़ा होना यानि उसमें सूजन होना (Bulky Uterus in Hindi) बड़ी समस्या का संकेत है। जिसका समय पर इलाज न किया जाए तो यह गंभीर रूप धारण कर सकता है। बच्चेदानी में सूजन की वजह से गर्भधारण करने में भी दिक्कत आ सकती है।
बल्की यूटरस क्या है? (What is Bulky Uterus in Hindi)
बल्की यूटरस में महिला के गर्भाशय की दीवारों पर सूजन आ जाती है, जिसकी वजह से गर्भाशय का आकार बड़ा हो जाता है, जिसकी वजह से दर्द, अनियमित पीरियड्स, गर्भधारण करने में दिक्कत जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। बल्की यूटरस की समस्या से बचने के लिए नियमित बोड़ी चेकअप कराना जरूरी है।
बल्की यूटरस के लक्षण (Symptoms of Bulky Uterus in Hindi)
बल्की यूटरस का इलाज समय पर शूरू करने के लिए सबसे पहले उनके लक्षणों को पहचानना जरूरी है। जैसे की,
- पेट के निचले हिस्से में दर्द होना
- बार बार युरिन जाना या फिर युरिन पर कंट्रोल न रहना
- पीरियड्स अनियमित हो जाना
- पैरों में सूजन और दर्द होना
- कमर और पीठ में दर्द होना
- मोनोपॉज के बाद भी ब्लीडिंग होना
- संभोग के दौरान दर्द
- मुहांसे और अनचाहे बालों का उगना
- अपच की समस्या
- कमजोरी, थकान, एनीमिया
बल्की यूटरस के कारण (Causes of Bulky Uterus in Hindi)

बल्की यूटरस के लिए निम्नलिखित कारण जिम्मेदार है।
1. मेनोपॉज : मेनोपॉज शुरू होने से पहले महिला के हार्मोन में चढ़ाव-उतार होता है। ऐसी परिस्थिति में यूटेरस का आकार बढ़ सकता है, लेकिन हार्मोन का लेवल स्थिर होते ही आकार सामान्य हो जाता है, लेकिन ऐसा न होने पर डॉक्टर का संपर्क करना ज़रूरी है।
2. फाइब्रॉइड्स : फाइब्रॉइड्स छोटी छोटी गांठ होती है। जिसकी वजह से ब्लैडर पर दबाव पड़ता है, नतीजतन बार बार युरिन जाना पड़ता है। अगर फाइब्रॉइड्स बड़ी होती है तो इसकी वजह से यूटेरस का आकार बड़ा हो जाता है।
3. प्रेग्नेंसी : इस परिस्थिति में यूटेरस का आकार बढ़ना नोर्मल होने के साथ जरूरी भी है। प्रेग्नेंसी से लेकर डिलीवरी तक यूटेरस का आकार 1 हजार गुना बढ़ जाता है, लेकिन डिलीवरी के बाद यूटेरस का आकार फिर से नोर्मल हो जाता है।
4. PCOS/PCOD : यह परिस्थिति हार्मोनल असंतुलन की वजह से होती है, और इसी कारण की वजह से बच्चेदानी में सूजन समस्या होने की संभावना बढ़ जाती है।
5. एडिनोमायोसिस : फ्राइब्रॉइड जैसी ही परिस्थिति एडिनोमायसिस में देखने को मिलती है। गर्भाशय पर एडिनोमायोसिस नामकी परत होती है जिसमें वृद्धि होने के कारण गर्भाशय का आकार बढ़ने लगता है।
6. ओवेरियन सिस्ट : यह अंडाशय की सतह पर या उसके अंदर विकसित होती है। जिसकी वजह से बल्कि यूटेरस की संभावना बढ़ जाती है, बल्कि यूटेरस के साथ पीरियड्स के वक्त ज्यादा ब्लीडिंग, यूरिन पास करने में कठिनाई हो सकती है।
7. एंडोमेट्रियल कैंसर : यूटेरस में होने वाले कैंसर को एंडोमेट्रियल कैंसर कहां जाता है, इस परिस्थिति में यूटेरस की कोशिकाओं में वृद्धि होने लगती है, जिसकी वजह से भी गर्भाशय में सूजन आ सकती है।
इसके अलावा जो महिलाएं ज्यादा टाइट कपड़े पहनती है, फिजिकल एक्टिविटी कम होने के साथ एसिडिटी की समस्या रहती हो उनमें भी बल्कि यूटेरस की समस्या हो सकती है।
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बल्की यूटरस का उपचार (Bulky Uterus Treatment in Hindi)
बल्की यूटरस के लिए आम तौर पर अल्ट्रासाउंड, एमआरआई और ब्लड टेस्ट के जरिए निदान किया जाता है। बल्की यूटरस होने की परिस्थिति में आमतौर पर उपचार की जरूरत नहीं होती, यह अपने आप ठीक हो जाता है। अगर बल्कि यूटेरस की वजह से दर्द या अन्य समस्याएं होती है तो इसके लिए डॉक्टर का संपर्क करें और उपचार पर परामर्श करें। आप भी इस समस्या से जूझ रहे है तो आज ही दिव्या वात्सल्य ममता IVF Center in Patna में डॉ रश्मि प्रसाद से मुलाकात ले, जहां पर अनुभवी डॉक्टर्स की टीम आपको देंगे सहीं मार्गदर्शन।
बल्की यूटरस की समस्या दवाएं, सर्जरी और अन्य उपचार की मदद से भी दूर की जा सकती है। इसके अलावा हेल्दी लाइफस्टाइल, योगा और एक्सरसाइज, पर्याप्त पानी पीने से भी इस समस्या में सुधार ला सकते है।
बल्की यूटरस डाइट चार्ट (Diet in Bulky Uterus in Hindi)
1. नारियल पानी : नारियल पानी में एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटीबायोटिक गुण पाए जाते है। जो गर्भाशय की सूजन में आराम देते है।
2. अजवाइन : अजवाइन इंफेक्शन के लक्षणों को कम करता है।
3. हल्दी का दूध : हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते है, जिसकी वजह से यह सूजन कम करने में मदद करता है।
4. सौंठ और नीम :के पत्ते का काढ़ा बनाकर पीने से भी बच्चेदानी की सूजन में राहत मिलती है।
5. गर्म पानी : गर्म पानी में थोड़ा नमक डालकर उस पानी में बैठने से भी गर्भाशय की सूजन कम हो सकती है।
सारांश
बल्की यूटरस में महिला के यूटेरस में सूजन आ जाती है और यूटेरस का आकार बढ़ जाता है (Bulky Uterus in Hindi), जिसकी वजह से अनियमित पीरियड्स, हेवी ब्लीडिंग, गर्भधारण करने में समस्या, पेट के निचले हिस्से में दर्द, पैरों में सूजन जैसी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। आमतौर पर यह समस्या अपने आप दूर हो जाती है, लेकिन अगर ज्यादा दर्द हो तो तुरंत ही डॉक्टर से परामर्श करें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Q1. बच्चेदानी का साइज क्यों बढ़ जाता है?
प्रेग्नेंसी, मोनोपॉज, PCOS या PCOD, ओवेरियन सिस्ट, फाइब्रॉइड्स, एडिमायनोसिस, एंडोमेट्रियल कैंसर जैसी परिस्थितियों में बच्चेदानी का आकार बढ़ जाता है।
Q2. क्या भारी गर्भाशय ठीक हो सकता है?
आमतौर पर भारी गर्भाशय अपने आप हीं ठीक हो जाता है, लेकिन दर्द या अन्य कोई समस्या हो तो तुरंत ही डॉक्टर का संपर्क करें। आप अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव करके भी इसे ठीक कर सकते है या फिर दवाएं, सर्जरी या अन्य उपचार के जरिए भी यह ठीक हो सकता है।
Q3. बच्चेदानी का सूजन कैसे खत्म होगा?
सूजन कम करने के लिए हेल्दी डाइट अपनाइए, नारियल पानी, हल्दी वाला दूध, गर्म पानी, अजवाइन, सौंठ और नीम पानी के जरिए बच्चेदानी की सूजन कम कर सकते है।
Q4. गर्भाशय भारी होने का कारण क्या है?
प्रेग्नेंसी, फाइब्रॉइड्स, एडिमायनोसिस, एंडोमेट्रियल कैंसर, PCOS या PCOD, ओवेरियन सिस्ट, मोनोपॉज जैसी परिस्थिति में गर्भाशय भारी हो सकता है। इतना ही नहीं जो महिलाएं ज्यादा टाइट कपड़े पहनती हो और कम फिजिकल एक्टिविटी हो और एसिडिटी की समस्या हो तो भी बल्कि यूटेरस की समस्या हो सकती है।
Q5. बल्की यूटरस का मतलब क्या होता है?
बल्की यूटरस यानी गर्भाशय में सूजन होना। आमतौर पर प्रेग्नेंसी के वक्त पेट में पल रहे बच्चे की वजह से यूटेरस का आकार बढ़ जाता है, लेकिन बिना प्रेग्नेंसी के यूटेरस में सूजन होने की कई वजह हो सकती है। जिसका निदान करके उपचार किया जा सकता है।
Q6. भारी गर्भाशय का इलाज क्या है?
आमतौर पर भारी गर्भाशय में कोई इलाज की जरूरत नहीं पड़ती है। हेल्दी डाइट और लाइफस्टाइल से भी आप इसे ठीक कर सकते है। भारी गर्भाशय वक्त के चलते अपने आप हीं नोर्मल हो जाता है लेकिन अगर दर्द जैसी समस्या हो तो डॉक्टर से परामर्श करें। भारी गर्भाशय को दवाइयां और सर्जरी से भी ठीक कर सकते है।
Q6. क्या भारी गर्भाशय से वजन बढ़ता है?
भारी गर्भाशय के कारण पेट फूला हुआ या भारी लग सकता है, कभी कभी वज़न भी बढ़ा सकता है। फाइब्रॉइड्स की वजह से गर्भाशय में सूजन हो तो पेट की चर्बी बढ़ी हुई दिख सकती है।
Q7. भारी गर्भाशय में क्या नहीं खाना चाहिए?
भारी गर्भाशय की परिस्थिति में जंक फूड, आर्टिफिशियल स्वीटनर्स, रेड मीट, आल्कोहोल, एनिमल फैट, कोल्डड्रिंक जैसी चीजों से दूर रहना चाहिए।