थाइराइड ग्रंथी हमारे गर्दन के अंदर स्थित होती है। थाइराइड की बीमारी में हार्मोन गड़बड़ हो जाते हैं। इस परिस्थिति में वजन बहुत ही ज्यादा घट जाता है या फिर बढ़ जाता है। शरीर में आयोडीन की कमी की वजह से थाइराइड ग्रंथी में सुजन आ जाती है। यह बीमारी पुरुष की तुलना में महिलाओं में ज्यादा देखने को मिलती है। ऐसे में थाइराइड (Thyroid in Pregnancy) के चलते गर्भधारण करने में भी दिक्कते आ सकती है।
थायराइड के प्रकार ( Type of Thyroid )
थाइराइड मुख्य रूप से 2 प्रकार के होते हैं, हाइपरथाइराइड और हाइपोथाइराइड।
1. हाइपरथाइराइड : हाइपरथाइराइड में थाइराइड ग्रंथी अधिक मात्रा में हार्मोन बनाने लग जाती है। इसमें दिल की धड़कनें तेज होने लगती है और वजन कम हो जाता है। कमजोरी का अहसास होना और बाल झड़ने की समस्या होने लगती है। हाइपरथाइराइड के अधिकांश मामलों में दवाइयां लेनी पड़ती है।
2. हाइपोथाइराइड : हाइपोथाइराइड में हाइपरथाइराइड से विपरीत थाइराइड ग्रंथी कम मात्रा में हार्मोन बनाने लगती है। महिलाओं में हाइपोथाइराइड सामान्य रूप से देखने को मिलता है। इसमें वजन बढ़ने लगता है और दिल की धड़कनें धीमी हो जाती है। आंखों और चेहरे पर सूजन, अनियमित पीरियड्स, डिप्रेशन, ब्लड में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ना जैसी कई समस्याएं हो सकती है।
3. प्रेगनेंसी में थायराइड के कारण : आम तौर पर शरीर में आयोडीन की कमी होने पर थाइराइड की समस्या हो सकती है। इसके अलावा और भी कई कारण जिम्मेदार है।
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हाइपोथाइराइड के कारण
- गर्भावस्था के दौरान हाशिमोटो रोग की वजह से हाइपोथाइराइड होता है।
- हाशिमोटो रोग इम्यून सिस्टम संबंध एक विकार है।
- हाशिमोटो में इम्यून सिस्टम ऐसे एंटीबॉडीज बनाता है जिससे थाइराइड ग्रंथी बुरी तरह से प्रभावित होती है।
- जिसकी वजह से हार्मोन कम बनते हैं।
- इसके अलावा पिट्यूटरी बीमारी, लेजर ट्रीटमेंट या दवा के साइड इफेक्ट्स की वजह से भी हाइपोथाइराइड हो सकता है।
- 100 में से 3 गर्भवती महिलाओं में यह पाया जाता है।
हाइपरथाइराइड के कारण
- गर्भावस्था में ग्रेव्स रोग की वजह से हाइपरथाइराइड होता है।
- हाइपरथाइराइड में भी हाइपोथाइराइड की तरह ही इम्यून सिस्टम संबंधी समस्या होती है।
- इसमें इम्यून सिस्टम ऐसे एंटीबॉडीज (इस एंटीबॉडीज को पीएसआई भी कहां जाता है) बनाता है जिससे थाइराइड ग्रंथी ज्यादा मात्रा में हार्मोन बनाने लगती है।
- इसके अलावा पिट्यूटरी ग्रंथि खराब होने पर और कैंसर की शुरुआत होने की वजह से भी हार्मोन बढ़ने लगते है।
- 100 में 4 प्रेगनेंट महिलाओं में हाइपरथाइराइड की बीमारी देखी जाती है।
हाइपोथाइराइड के लक्षण
- वजन बढ़ना
- TSH का लेवल बढ़ना
- मतली और उल्टी
- दिल की धड़कनें तेज हो जाना
- थकान/कमजोरी और ज्यादा गर्मी लगना
- चेहरे पर सूजन
- पेट खराब होना और कब्ज की समस्या
हाइपरथाइराइड के लक्षण
- वजन बढ़ना
- हाथ कंपकंपाना
- नींद आने में दिक्कत
- कम भूख लगना
- ब्लड शुगर लेवल बढ़ना और ज्यादा पसीना होना
- दिल की धड़कनें तेज होना
- चक्कर और उल्टी आना
प्रेगनेंसी में थाइराइड से गर्भस्थ शिशु पर होने वाले असर
- डिलीवरी के वक्त ब्लडप्रैशर बढ़ना
- जन्म के वक्त बच्चे का वजन कम होना
- प्रीमेच्योर डिलीवरी
- जन्म के बाद बच्चे को सांस लेने में परेशानी होना
- दिल की धड़कनें तेज हो जाना
- अगर हाइपोथाइराइड हो और ये गंभीर स्थिति में पहुंच जाएं तो डिलीवरी के बाद बच्चे के विकास में देरी हो सकती है।
- प्रेगनेंसी में हाइपरथाइराइड के इलाज के लिए एंटीथाइराइड दवाएं दी जाती है। जबकी हाइपोथाइराइड का इलाज लेवोथायरोक्सिन नामक सिंथेटिक हार्मोन से किया जाता है।
थायराइड में गर्भधारण कब कर सकते हैं?
थाइराइड ग्रंथी ट्राईआयोडोथायरोनिन और थायरोक्सिन नामक हार्मोन का उत्पादन करती है, जो गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसे में थाइराइड में या उसके इलाज के बाद गर्भधारण किया जा सकता है इसको लेकर कई महिलाओ में असमंजस हो सकता है। लेकिन थाइराइड के इलाज के बाद महिला चाहे तो गर्भधारण कर सकती है। हालांकि इसके लिए सबसे पहले डॉक्टर से परामर्श करना आवश्यक है।
ब्लड में थाइराइड हार्मोन की मात्रा का पता लगाने के लिए डॉक्टर सीरम टीएसएच टेस्ट के लिए कह सकते है। इतना ही नहीं हर तीन महीने में इसकी जांच जरूरी है।
गर्भधारण के दौरान थायराइड कैसे कंट्रोल करें?
प्रेगनेंसी में थाइराइड कंट्रोल करने के लिए डॉक्टर से परामर्श करें इसके अलावा निम्नलिखित बातों का भी ख्याल रखें।
1. नियमित रूप से दवा का सेवन करें : थाइराइड को कंट्रोल करने के लिए नियमित रूप से दवा का सेवन करना चाहिए। अगर दवा समस पर न ली जाए तो प्रेगनेंसी में थाइराइड लेवल बढ़ सकता है। आम तौर पर भी थाइराइड के मरीज को दवा का नियमित सेवन करना चाहिए।
2. कसरत करें : थाइराइड को कंट्रोल करने के लिए कसरत या फिर योग का सहारा ले। हाइपोथाइराइड में वजन बढ़ जाता है ऐसे में कसरत और योग से आप वजन को नियंत्रित कर सकते हैं साथ ही हार्मोन को भी संतुलित रख सकते है।
3. तनाव से रहें दूर : तनाव की वजह से शरीर में कोर्टिसोल नामक हार्मोन बढ़ जाता है, जो थाइराइड ग्रंथी को हार्मोन रिलीज करने से रोकता है।
4. शुगर को कहें ना’ : शुगर, रिफाइंड तेल और चाय ऐसी चीजें हैं जिससे थाइराइड का स्तर बढ़ता है। इसलिए प्रेगनेंसी के दौरान इन चीजों से दूर रहें।
थाइराइड को कंट्रोल में रखने के लिए क्या खाएं? :
- हाइपरथाइराइड में कम आयोडीन वाले आहार लें।
- हाइपरथाइराइड में फल, सब्जियां, सोयाबीन, अंडे का व्हाइट पार्ट, ओट्स को शामिल करें
- हाइपोथायराइड में थाइराइड के हार्मोन को संतुलित करने के लिए खाने में सेलेनियम और टायरोसिन की मात्रा बढ़ाएं।
- इसके अलावा सूरजमुखी के बीज, बादाम, काजू, अखरोट तथा मूंगफली का सेवन करें।
निष्कर्ष
थाइराइड आम तौर पर महिलाओं में पाया जाता है इसमें या तो वजन बढ़ने या कम हो सकता है। इसके साथ ही और भी कई परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। अगर महिला प्रेगनेंट (Thyroid in Pregnancy) हैं या गर्भधारण करना चाहती है तो उन्हें डॉक्टर से परामर्श करना आवश्यक है। इतना ही नहीं समय पर दवाई का सेवन करें, तनाव से बचें और कसरत करें।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Q1. क्या थायराइड में प्रेग्नेंट होना आसान है?
हां, थाइराइड में प्रेगनेंट होना आसान है, लेकिन इससे पहले डॉक्टर से परामर्श करना आवश्यक है। अगर आपको थाइराइड है और आप प्रेगनेंट हैं तो थाइराइड को कंट्रोल करने के लिए नियमित रूप से दवा का सेवन करना भी जरूरी है।
Q2. महिलाओं में थायराइड की समस्या के शुरुआती लक्षण क्या हैं?
वजन बढ़ना या घटना, बालों का झड़ना, अनियमित पीरियड्स, कब्ज, नींद आने में दिक्कत, मतली आदि थाइराइड के शुरुआती लक्षण है।
Q3. क्या थायराइड गर्भपात का कारण बन सकता है?
हायर THS लेवल की वजह से गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए थाइराइड में डॉक्टर प्रेगनेंट महिला को हर तीन महीने THS की जांच करने के लिए कह सकते हैं।
Q4. थायराइड को जड़ से खत्म करने के लिए क्या करें?
थाइराइड को सर्जरी के जरिए हटाकर उसे जड़ से खत्म किया जा सकता है। इसके अलावा नियमित रूप से दवा का सेवन करें और हेल्दी डाइट के जरिए भी आप थाइराइड को कंट्रोल कर सकते हैं।
Q5. महिलाओं में थायराइड बढ़ने से क्या होता है?
महिलाओं में थाइराइड की वजह से अनियमित पीरियड्स, गर्भधारण करने में दिक्कत, गर्भपात और वजन अनियमित रूप से बढ़ना या घटना, मितली, कब्ज जैसी समस्याएं हो सकती है।
Q6. प्रेगनेंट महिला को थाइराइड होने से क्या होता है?
थाइराइड प्रेगनेंट महिला और उनके शिशु के स्वास्थ्य के लिए खराब मानी जाती है। इसका प्रभाव बच्चे के विकास पर पड़ता है, इतना ही नहीं प्रीमेच्योर डिलीवरी की संभावना भी बढ़ जाती है। ऐसे में डॉक्टर से परामर्श करें और दवा का सेवन करें।