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AMH Test in Hindi: AMH टेस्ट क्या है और क्यों होता है?

AMH Test in Hindi

गर्भावस्था सभी दंपती के लिए एक खास अहसास होता है। हालांकि कभी कभी कई प्रयासों के बाद भी गर्भधारण करने में सफलता नहीं मिलती। इस स्थिति के लिए की कारण जिम्मेदार हो सकते हैं, लेकिन एएमएच की मात्रा कम होने पर भी इस स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। इसकी सही वजह जानने के लिए आपके डॉक्टर आपको एएमएच टेस्ट का सुझाव दे सकते है। किसी भी अस्पताल या लैब में यह टेस्ट किया जा सकता है।

AHM टेस्ट क्या है? ( What is AMH Test in Hindi)

एएमएच टेस्ट (AMH Test Meaning) AMH का पूरा नाम एंटी मलेरियन हार्मोन टेस्ट है। एएमएच टेस्ट (AMH Test) एक ऐसा टेस्ट है जो महिला के फर्टिलिटी को मापने के लिए किया जाता है। गर्भधारण करने के लिए महिला के शरीर में एएमएच की मात्रा (AMH level)2 से 4 नेनोग्राम प्रति मिलीलीटर होनी चाहिए। इसकी मात्रा (AMH level)कम होने पर गर्भधारण करने में कठिनाई आ सकती है। गर्भधारण करने में समस्या होने पर उसका कारण जानने के लिए यह परीक्षण किया जाता है। इस परीक्षण से अंडाशय की जांच करने में मदद मिलती है। यह परीक्षण आम तौर पर रक्त परीक्षण के रूप में किया जाता है, जिसे विश्लेषण के लिए लैब में भेजा जाता है।

AMH कैसे काम करता है ( How does AMH work)

• AMH गर्भस्थ शिशु के यौन अंगों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है

• पुरुष शिशुओं में महिला शिशुओं की तुलना में AMH की मात्रा अधिक होती है, क्योंकि अधिक मात्रा उनमें महिला प्रजनन अंगो को विकसित होने से रोकती है। जबकि महिला शिशुओं में इसकी मात्रा बहुत कम होती है।

• महिलाओं में AMH उनके अंडाशय के अंदर फॉलिकल्स (जिसके अंदर एग्ज होते हैं) के अंदर की कोशिकाएं उत्पन्न करती है।

• अंडाशय में एग्ज की संख्या और उनकी क्वालिटी पर हीं AMH का लेवल (AMH level) निर्भर करता है।

• स्त्रीबीज और एग्ज की अधिक क्वालिटी होने पर AMH का लेवल अधिक होता है और स्त्रीबीज और एग्ज की कम क्वालिटी होने पर AMH की मात्रा कम होती है।

AMH टेस्ट क्यों किया जाता है? (What is the purpose of AMH Test in Hindi)

अगर किसी महिला को गर्भधारण करने में समस्या का सामना करना पड़ रहा हो तो एएमएच परीक्षण (AMH test) की आवश्यकता हो सकती है। गर्भधारण की संभावना और उसमें आ रही समस्या की जांच करने के लिए एएमएच टेस्ट (AMH test) जरूरी होता है। इसके अलावा निम्नलिखित परिस्थितियों में आपके डॉक्टर आपको एएमएच टेस्ट (AMH test) का सुझाव दे सकते है।

अगर कोई महिला छ महीने से अधिक समय से गर्भधारण करने की कोशिश कर रही हो लेकिन उसमें सफलता न मिलने पर यह टेस्ट (AMH test) किया जा सकता है।

आईवीएफ का उपचार शुरू करने से पहले उसमें सफलता की संभावना जानने के लिए एएमएच टेस्ट (AMH test) किया जाता है।

गर्भधारण करने में आ रही समस्या को जानने में एएमएच टेस्ट मदद करता है।

PCOS का निदान करने में और मेनोपॉज के लक्षण की जांच करने के लिए भी यह परीक्षण आवश्यक है।

AMH टेस्ट कैसे किया जाता है? ( How is the AMH Test Done)

आम तौर पर रक्त परीक्षण के जरिए AMH की जांच की जाती है। इसमें नसों से खून का सैंपल लिए जाता है। इस परीक्षण के लिए विशेष साधनों की जरूरत पड़ती है, इसलिए यह टेस्ट अस्पताल या फिर लैब में किया जाता है। ब्लड सैंपल लेने के बाद उसमें AMH की मात्रा की जांच की जाती है।

सामान्य और निम्न AMH स्तर क्या है? (What Is Normal And Low AMH Level)

एएमएच स्तर (AMH Level)

Value

उच्च स्तर (पीसीओएस की संभावना)3. 0 ng/ml से अधिक
सामान्य स्तर1.0 ng/ml से अधिक
सामान्य स्तर से कम0.7 ng/ml to 0.9 ng/ml
निम्न स्तर0.3 ng/ml to 0.6 ng/ml
बहुत कम स्तर0.3 (ng/ml) से कम
(AMH level)

आम तौर पर AMH का सामान्य स्तर 1.0 नेनोग्राम/मिली होता है, लेकिन इससे कम मात्रा होने पर आपको डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। (amh level kitna hona chahiye) अगर AHM का लेवल 0 से 0.6 नेनोग्राम/मिली के बीच में है तो डॉक्टर आईवीएफ या एफएसएच की जांच (IVF or FSH testing) कराने का सुझाव दे सकते है और एएमएच का लेवल 3.0 से अधिक है तो वह PCOS (पॉलीसिस्टिक ओवरियन सिंड्रोम) का संकेत हो सकता है।

जिन महिलाओं में AMH  लेवल (AMH level) कम होता है उनके अंडाशय में पर्याप्त एग्ज नहीं होते और इसलिए उन्हें गर्भधारण करने में समस्या होती है। एक उम्र के बाद एग्ज की संख्या कम हो जाती है। ऐसे में एएमएच लेवल कम होने के पीछे महिला की उम्र का भी प्रभाव होता है।

एएमएच का स्तर कैसे बढ़ाएं? (How to Increase AMH levels in Hindi)

महिलाएं अपनी प्रजनन क्षमता में सुधार करके और गर्भवती होने की संभावना को बढ़ाने के लिए अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव करके कर सकती है, जैसे कि स्वस्थ वजन, संतुलित आहार, तनाव कम करना जैसे बदलाव कर सकती है। इतना ही नहीं धुम्रपान और आल्कोहोल से भी प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है। इसके अलावा एग्ज की क्वालिटी में सुधार लाने के लिए मायो-इनोसिटोल और मेलाटोनिन जैसे प्रजनन क्षमता बढ़ाने वाली खुराक ले सकती है। हालांकि AHM लेवल को बढ़ाने के लिए आज भी संशोधन जारी है।

और पढ़े : Ways to Increase AMH Levels

Low AMH से गर्भधारण कैसे करे? (How to conceive with low AMH)

AHM का लेवल कम होने पर भी महिला गर्भधारण कर सकती है, लेकिन इसके लिए उन्हें निम्नलिखित विकल्प की मदद लेनी पड़ सकती है।

आईवीएफ : कुछ महिलाओं में एग्ज कम होते हैं लेकिन उनकी क्वालिटी अच्छी होती है। ऐसे में आईवीएफ तकनीक के जरिए महिला के एगज को बहार निकालकर पुरुष के स्पर्म के साथ लैब में फर्टिलाइज (Fertilize) किया जाता है। जब वह भ्रूण में विकसित हो जाते तब उसे वापस महिला के गर्भ में स्थापित किया जाता है।

डोनर एग्ज : जब महिला का AHM लेवल कम होता है, ऐसे में एग्ज भी कम होने के साथ साथ उनकी क्वालिटी भी अच्छी नहीं होती। ऐसे में डोनर एग्ज का प्रयोग किया जाता है। डोनर एग्ज को पुरूष के स्पर्म के साथ फर्टिलाइज किया जाता है और वह भ्रूण में विकसित होते ही उन्हें महिला के गर्भाशय में स्थापित किया जाता है।

निष्कर्ष

गर्भधारण करने में आ रही दिक्कतों के पीछे एएमएच स्तर की मात्रा जिम्मेदार हो सकती है। एएमएच की कम मात्रा होना संकेत है की महिला के अंडाशय में एग्ज कम उत्पन्न हो रहे हैं। ऐसे में गर्भधारण करने में असफलता का सामना करना पड़ सकता है। एएमएच का लेवल जानने के लिए डॉक्टर एएमएच टेस्ट (AMH Test in Hindi) का सुझाव दे सकते है। रक्त परीक्षण के जरिए एएमएच लेवल का पता लगाया जा सकता है। यदि आप AHM टेस्ट पर विचार कर रहे हैं, AHM टेस्ट के बारे में अधिक जानने के लिए आज ही Diwya Vatsalya IVF Centre में संपर्क करें और अपना परिवार शुरू करने की दिशा में पहला कदम उठाएं, फर्टिलिटी विशेषज्ञों की हमारी अनुभवी टीम आपको प्रक्रिया के माध्यम से मार्गदर्शन करेगी ।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

एएमएच टेस्ट क्या है? ( What is AMH Test in Hindi)

 एएमएच टेस्ट से अंडाशय की जांच करने में मदद मिलती है। महिलाओं में एग्ज कम उत्पन्न होने की वजह से गर्भधारण करने में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है ऐसे में एएमएच टेस्ट से गर्भधारण के में आ रही समस्या को दूर करने में मदद मिलती है।

एएमएच टेस्ट क्यों किया जाता है? (Why AMH Test is Done?)

अगर किसी महिला को गर्भधारण करने में असफलता मिल रही हो या फिर आईवीएफ तकनीक की सफलता की संभावना जांचने के लिए एएमएच टेस्ट का सुझाव दिया जा सकता है।

एएमएच का स्तर कितना होना चाहिए?

महिलाओं में आम तौर पर एएमएच का स्तर 1.0 नेनोग्राम/मिली होना चाहिए है। इससे कम या अधिक होने पर की दिक्कतो का सामना करना पड़ सकता है।

एएमएच टेस्ट कब करना चाहिए?

गर्भधारण करने सफलता न मिलने पर एएमएच टेस्ट करना चाहिए। इसके अलावा आईवीएफ उपचार से पहले भी यह टेस्ट करना चाहिए।

क्या एएमएच का स्तर बढ़ाया जा सकता है ?

एएमएच का स्तर बढ़ाने के लिए वैसे तो कोई उपाय या उपचार नहीं है लेकिन लाइफस्टाइल में बदलाव के जरिए प्रजनन क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। एग्ज की क्वालिटी में सुधार लाने के लिए मायो-इनोसिटोल और मेलाटोनिन जैसे प्रजनन क्षमता बढ़ाने वाली खुराक लिया जा सकता हैं।

एएमएच का स्तर ज़्यादा होने का क्या मतलब होता है?

एएमएच का लेवल 3.0 से अधिक है तो वह PCOS (पॉलीसिस्टिक ओवरियन सिंड्रोम) का संकेत हो सकता है।

Dr-Rashmi-Prasad

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