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Placenta Meaning in Hindi: प्लेसेंटा क्या है? कार्य और महत्व

प्लेसेंटा (Placenta Meaning in Hindi) एक अस्थाई अंग है जो महिला के शरीर में प्रेगनेंसी के दौरान बनता है। प्रेगनेंसी के दौरान प्लेसेंटा की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है। यह गर्भाशय की दीवार से जुड़ा रहता है और गर्भनाल के माध्यम से गर्भस्थ शिशु को जरूरी पोषक तत्व और ऑक्सीजन प्रदान करता है। प्लेसेंटा की कुछ स्थितियां गर्भावस्था की जटिलताओं का कारण भी बन सकती है।

Diwya Vatsalya Mamta IVF और Dr Rashmi Prasad की टीम इस दौरान महिलाओं को सही मार्गदर्शन देने के लिए हमेशा तत्पर रहती है।  आज हम इस ब्लॉग के जरिए प्लासेंटा (placenta) के निर्माण से लेकर उसकी संरचना, कार्य, प्रकार और उससे जुड़ी समस्याओं को बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे।

प्लेसेंटा क्या है? (Placenta Meaning in Hindi)

प्लेसेंटा एक ऐसा अस्थाई अंग है जो गर्भावस्था के दौरान गर्भस्थ शिशु को गर्भाशय (Uterus) से जोड़ता है। प्रेगनेंसी के तुरंत बाद प्लेसेंटा विकसित होने लगता है और गर्भाशय की दीवार से जुड़ जाता है। गर्भस्थ शिशु गर्भनाल (Umbilical Cord) के जरिए प्लेसेंटा से जुड़ा होता है। प्लेसेंटा और गर्भनाल मिलकर गर्भाशय में गर्भस्थ शिशु की लाइफ लाइन के रूप में कार्य करते हैं।

यह गर्भस्थ शिशु को ऑक्सीजन और पोषक तत्व (Oxygen and Nutrition) प्रदान करते हैं, जो गर्भस्थ शिशु के विकास के लिए जरूरी होता है। इतना ही नहीं यह गर्भस्थ शिशु के रक्त से अशुद्धियां भी बहार निकालने में मदद करता है।

 प्लेसेंटा की संरचना (Structure of Placenta in Hindi)

यह एक डिस्क आकार का होता है, जो मां और भ्रृण के टिशू से विकसित होता है। इसका वजन 500 ग्राम होता है। यह 10 इंच लंबा और बीच में से 1 इंच मोटा होता है। इसका रंग गहरा लाल होता है। प्लासेंटा (placenta) की दो साइड होती है, जिसमें से एक साइड गर्भाशय से जुड़ी होती है, जो ग्रे रंग की होती है और दूसरी साइड गर्भाशय की दीवार से जुड़ी हुई होती है, जिसका रंग नीला लाल होता हैं।  

बच्चे के जन्म के तुरंत बाद प्लेसेंटा भी निकल जाता है। अगर बच्चे का जन्म नॉर्मल डिलीवरी (Normal Delivery) से होता है तो प्लेसेंटा बर्थ कैनाल से हीं बहार निकलता है और अगर सी-सेक्शन डिलीवरी हुई हो डॉक्टर प्लेसेंटा को काटकर हटा देते हैं।

प्लेसेंटा का निर्माण कब और कैसे होता है? (Placenta Formation and Development)

Placenta Meaning in Hindi के अनुसार, प्लेसेंटा का निर्माण गर्भाधान के तुरंत बाद शुरू हो जाता है। आइये जानते है..

  • गर्भावस्था (Pregnancy) के 7-10 दिन बाद प्लेसेंटा बनना शुरू हो जाता है। जब फर्टाइल अंडा गर्भाशय की दीवार से जुड़ता है तब प्लेसेंटा का निर्माण शुरू हो जाता है।
  • पहली तिमाही के दौरान प्लेसेंटा मां की रक्तवाहिकाओं से जुड़ जाता है, जिससे गर्भस्थ शिशु को जरूरी पोषक तत्व और ऑक्सीजन मिलना संभव हो पाता है।
  • दूसरी और तीसरी तिमाही के दौरान प्लेसेंटा संपूर्ण रूप से विकसित हो जाता है। भ्रूण पोषण (Fetal Nutrition) के लिए प्लेसेंटा काफी महत्वपूर्ण है। प्लेसेंटा गर्भस्थ शिशु की सुरक्षा के लिए जरूरी हार्मोन का उत्पादन भी करता है।
  • बच्चे के जन्म के बाद प्लेसेंटा भी मां के शरीर से बाहर निकल जाता है, जिसे आफ्टर बर्थ (Afterbirth) कहा जाता है।

प्लेसेंटा के कार्य (Functions of Placenta)

प्लेसेंटा के बिना गर्भस्थ शिशु का विकास होना नामुमकिन है। क्योंकी प्लेसेंटा से हीं गर्भस्थ शिशु को सभी तरह के पोषक तत्व मिल पाते हैं। प्लेसेंटा के कार्य निम्नलिखित हैं, जो उसकी महत्ता को दर्शाता है।

  • गर्भस्थ शिशु के लिए ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति करना
  • शिशु के शरीर से अशुद्धियां और कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालता है
  • ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (HCG), प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन जैसे हार्मोन का निर्माण करता है जो शिशु के विकास (Fetal Development) और वृद्धि के लिए जरूरी है
  • बच्चे को प्रतिरक्षा प्रदान करता है
  • बच्चे की सुरक्षा करता है

प्लेसेंटा के प्रकार (Types of Placenta)

Placenta Meaning in Hindi को समझने के बाद अब, प्लेसेंटा के प्रकार को समझते है, जो की मुख्य रूप से 4 प्रकार होते हैं जो निम्नलिखित हैं:

  • पोस्टीरियर प्लेसेंटा (placenta posterior meaning in hindi) : जहां पर फर्टाइल अंडा जुड़ा हुआ होता है, वहां गर्भाशय की दीवार के पास प्लेसेंटा विकसित होता है तो उसे पोस्टीरियर प्लेसेंटा कहा जाता है।
  • एंटीरियर प्लेसेंटा (placenta anterior meaning in hindi): गर्भाशय की आगे की दीवार पर प्लेसेंटा विकसित होता है, जबकि भ्रृण का विकास उसके पीछे होता है, इस स्थिति को इंटीरियर प्लेसेंटा कहते हैं।
  • फंडल प्लेसेंटा (placenta fundal meaning in hindi): जब प्लेसेंटा गर्भाशय के ऊपर की दीवार से जुड़ जाता है तो उसे फंडल प्लेसेंटा कहा जाता है।
  • लो-लाइंग प्लेसेंटा (low lying placenta meaning in hindi) : जब गर्भाशय के निचले हिस्से में प्लेसेंटा विकसित हो तो उसे लो-लाइंग प्लेसेंटा कहते हैं।

प्लेसेंटा का गर्भावस्था में महत्व (Importance of Placenta in Pregnancy)

प्लासेंटा (placenta) गर्भावस्था के दौरान गर्भस्थ शिशु की सुरक्षा करने का काम करता है।

  • हानिकारक तत्वों से सुरक्षा: प्लेसेंटा सभी नुकसानदायक तत्वों को हटाने का काम करता है। गर्भस्थ शिशु के ब्लड से अशुद्धियां और कार्बन डाइऑक्साइड को हटाने का काम भी करते हैं।
  • हार्मोन का उत्पादन: गर्भावस्था के दौरान मां और बच्चे दोनों के लिए जरूरी हार्मोन का उत्पादन प्लेसेंटा के जरिए होता है।
  • संक्रमण से सुरक्षा (Infection Protection): प्लेसेंटा मां के खून को बच्चे के खून से अलग रखने का काम करता है, जिससे गर्भस्थ शिशु कई तरह के संक्रमण से बचा जाता है।
  • प्रतिरक्षा प्रणाली: गर्भस्थ शिशु प्रारंभिक अवस्था में प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए प्लेसेंटा पर निर्भर करता है।

Placenta Meaning in Hindi को समझना इसलिए भी जरूरी है ताकि गर्भावस्था के दौरान किसी भी समस्या की पहचान समय रहते की जा सके।

प्लेसेंटा से जुड़ी सामान्य समस्याएं (Common Placenta-related Issues)

प्लेसेंटा के बिना गर्भस्थ शिशु का विकास असंभव है, हालांकि प्लेसेंटा का कार्य महत्वपूर्ण होने के साथ ही उससे जुड़ी कुछ जटिलताओं (Pregnancy Complications) सामना भी करना पड़ सकता है।

  • प्लेसेंटा प्रीविया (Placenta Previa) : जब प्लेसेंटा गर्भाशय के निचले हिस्से में स्थित होता है, जिससे डिलीवरी जटिल हो सकती है।
  • प्लेसेंटल अब्रप्शन: जब प्लेसेंटा समय से पहले गर्भाशय की दीवार से अलग हो जाता है। इस स्थिति में प्री मैच्योर डिलीवरी करना पड़ सकता है।
  • असामान्य प्लेसेंटा: जब प्लेसेंटा पूरी तरह विकसित नहीं होता या कार्य में कमी होती है, जिसकी वजह से गर्भस्थ शिशु का विकास भी प्रभावित होता है।

ध्यान रखें, अगर आप इस विषय पर विशेषज्ञ की राय चाहते हैं, तो हमारे यहां Senior IVF Specialist, Dr. Rashmi Prasad से संपर्क करें और अपने सवालों के जवाब पाएं।

निष्कर्ष (Conclusion)

गर्भावस्था के प्रारंभ से लेकर बच्चे के जन्म तक प्लेसेंटा (Placenta Meaning in Hindi) की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। बच्चे को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति के साथ ही बच्चे की अशुद्धियां दूर करने का काम भी प्लेसेंटा हीं करता है। प्लेसेंटा हीं भ्रृण और मां (Fetus-Mother Connection) को ऐक साथ जोड़ती है। प्लेसेंटा के बिना गर्भस्थ शिशु के विकास की कल्पना भी मुश्किल है।

अगर आप प्लेसेंटा या गर्भावस्था से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान चाहते हैं, तो पटना के प्रमुख फर्टिलिटी सेंटर Diwya Vatsalya Mamta IVF Centre अवश्य संपर्क करें। यहाँ Dr. Rashmi Prasad, जो 20+ वर्षों के अनुभव के साथ जानी-मानी IVF और गाइनकोलॉजिस्ट विशेषज्ञ हैं — आपकी हर जरूरत में व्यक्तिगत मार्गदर्शन और बेहतरीन इलाज प्रदान करती हैं। 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

प्लेसेंटा कब बनता है?

Placenta kab banta hai : प्लेसेंटा गर्भधारण करने के 7 से 10 दिन में विकसित होना शुरू हो जाता है और गर्भस्थ शिशु के साथ ही प्लेसेंटा भी बडा होने लगता है।

प्लेसेंटा किस तरह काम करता है?

गर्भस्थ शिशु गर्भनाल के जरिए प्लेसेंटा से जुड़ा होता है। प्लेसेंटा और गर्भनाल मिलकर गर्भाशय में गर्भस्थ शिशु की लाइफ लाइन के रूप में कार्य करते हैं।

क्या प्लेसेंटा की स्थिति गर्भावस्था को प्रभावित करती है?

जी, हां प्लेसेंटा की स्थिति गर्भावस्था को प्रभावित कर सकती है। प्लेसेंटा प्रीविया की स्थिति में बच्चे का जन्म नोर्मल प्रसव से असंभव हो जाता है जबकि प्लेसेंटल अब्रप्शन की स्थिति में प्री मैच्योर डिलीवरी करनी पड़ सकती है।

प्लेसेंटा प्रीविया क्या है?

प्लेसेंटा प्रीविया प्लेसेंटा की स्थिति दर्शाता है, आमतौर पर प्लेसेंटा गर्भाशय के ऊपरी हिस्से में होता है जबकि इस स्थिति में प्लेसेंटा गर्भाशय के निचले हिस्से में स्थित होता है।

प्लेसेंटा के बिना गर्भावस्था संभव है?

गर्भावस्था के प्रारंभिक चरण में हीं प्लेसेंटा का निर्माण शुरू होता है। ऐसे में प्लेसेंटा के बिना हीं गर्भावस्था शुरू होती है, लेकिन गर्भस्थ शिशु के विकास के लिए प्लेसेंटा का निर्माण अति आवश्यक है।

Dr. Rashmi Prasad

Dr. Rashmi Prasad is a highly respected infertility and gynecology specialist with over 20 years of experience. As Director of Diwya Vatsalya Mamta IVF Centre, she is dedicated to helping couples achieve their dream of parenthood. Dr. Prasad holds an MD in Infertility and Gynecology, along with a Postgraduate Diploma in Assisted Reproductive Technology (ART) from Schleswig-Holstein, Germany. Her expertise covers infertility, IVF, pregnancy care, and male infertility, making her a trusted leader in reproductive health. Dr. Prasad has received several honors, including the Asia’s Greatest Award (2017), Icon of Bihar (2013), National Fertility Award (2022), and Mirchi Excellence Award (2024).

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