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Hysteroscopy in Hindi : जानिए हिस्ट्रोस्कोपी क्या है, प्रक्रिया, जोखिम

Hysteroscopy in Hindi

अनेक प्रयासों के बावजूद भी कई दंपती को संतान सुख नहीं मिल पाता। इसके लिए की कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। महिला में बार बार गर्भपात, मेनोपॉज के बाद भी ब्लीडिंग, असामान्य रक्तस्राव, फाइब्रोइड, ट्यूमर जैसी समस्या के निदान के लिए हिस्टेरोस्कोपी (Hysteroscopy in Hindi) की जाती है। गर्भाशय के निदान के लिए वैसे तो कई तरीके होते हैं लेकिन हिस्टेरोस्कोपी गर्भाशय (hysteroscopy uterus) की जांच के लिए सबसे अच्छा तरीका है। बांझपन की पड़ताल के लिए भी हिस्टेरोस्कोपी एक सटीक तरीका माना जाता है।Hysteroscopy in Hindi

In this Article

हिस्टेरोस्कोपी क्या है? (Hysteroscopy meaning in Hindi)

हिस्टेरोस्कोपी में एक हिस्टेरोस्कोपी (hysteroscopy in Hindi)नाम का उपकरण इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें छोटा सा कैमरा और लाइट लगाई जाती है, जिसे पेल्विक एरिया के माध्यम से गर्भाशय के अंदर डाला जाता है। इसके माध्यम से गर्भाशय के अंदर करीब से देखा जा सकता है और असामान्य स्थिति का पता लगाया जा सकता है। आम तौर पर हिस्टेरोस्कोपी की जांच (hysteroscopy test) दो तरीके से की जाती है – डायग्नोस्टिक हिस्टेरोस्कोपी और ऑपरेटिव हिस्टेरोस्कोपी।

1. डायग्नोस्टिक हिस्टेरोस्कोपी : (Diagnostic Hysteroscopy) गर्भाशय की समस्याओं की जांच करने के लिए डायग्नोस्टिक हिस्टेरोस्कोपी किया जाता है। लैप्रोस्कोपी में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है और अन्य परीक्षणों की पुष्टि के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। गर्भधारण करने में दिक्कत हो, बार बार गर्भपात हो जाता हो, मेनोपॉज के बाद भी पीरियड्स आ रहे हो जैसी समस्या में इस प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रक्रिया को शूरू करने से पहले एनेस्थीसिया दिया जाता है।

2. ऑपरेटिव हिस्टेरोस्कोपी : (Operative Hysteroscopy) गर्भाशय में आ रही समस्याओं को दूर करने के लिए ऑपरेटिव हिस्टेरोस्कोपी का इस्तेमाल किया जाता है। डायग्नोस्टिक हिस्टेरोस्कोपी (Diagnostic Hysteroscopy)के दौरान अगर गर्भाशय में कुछ असामान्य स्थिति की जांच होती है तो उसके बाद ऑपरेटिव हिस्टेरोस्कोपी का इस्तेमाल किया जाता है। इसके लिए गर्भाशय ग्रीवा (uterine cervix) को चौड़ा किया जाता है और बाद में गर्भाशय में फ्लूइड डाला जाता है। जिसके बाद निदान करने के लिए इलेक्ट्रिकल और मेकेनिकल उपकरण का इस्तेमाल किया जाता है।

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हिस्टेरोस्कोपी कब करानी चाहिए?(When should hysteroscopy in Hindi be done?)

गर्भधारण करने में समस्या, बार बार गर्भपात, पीरियड्स के दौरान तेज़ दर्द होना, बांझपन जैसी कई समस्या के निदान के लिए हिस्टेरोस्कोपी (Hysteroscopy) का प्रयोग किया जाता है।

1. गर्भधारण करने में समस्या

2. गर्भाशय की असामान्यता

3. एक से अधिक बार गर्भपात

4. मेनोपॉज के बाद भी ब्लीडिंग होना

5. बांझपन का निदान करने के लिए

6. पेल्विक एरिया में दर्द होना

7. बर्थ कंट्रोल उपकरण को ढूंढने के लिए

8. गर्भाशय फाइब्रोइड और पॉलीप्स

हिस्टेरोस्कोपी कब नही करानी चाहिए?(When should hysteroscopy in Hindi not be done?)

स्त्री रोग विशेषज्ञ आपकी जांच करने के बाद आपको हिस्टेरोस्कोपी की जरूरत है या नहीं उसका सुझाव दे सकते है। इसके अलावा आप गर्भवती है या नहीं इस पर भी निर्भर करता है। हिस्टेरोस्कोपी के लिए एनेस्थीसिया दिया जाता है, इसलिए अगर आपको पहले से कोई स्वास्थ्य समस्या हो तो दिक्कते बढ़ सकती है, गर्भाशय में या गर्भाशय ग्रीवा में कैंसर, गर्भाशय ग्रीवा में सूजन हो तो डॉक्टर से परामर्श करने के बाद हीं हिस्टेरोस्कोपी की जाती है।

हिस्टेरोस्कोपी कैसे की जाती है? (Hysteroscopy in Hindi Procedure )

हिस्ट्रोस्कोपी कैसे होता है हिस्टेरोस्कोपी पीरियड्स (Hysteroscopy Periods) के पहले सप्ताह के दौरान ब्लीडिंग रूकने बाद की जाती है। इसके बाद निम्नलिखित प्रक्रिया से हिस्टेरोस्कोपी की जाती है।

1. स्त्री विशेषज्ञ रिलैक्स करने के लिए हल्का सा एनेस्थीसिया दे सकते है।

2. इसके बाद लिटाकर पैरों को स्टिररप से फिक्स किया जाता है।

3. सबसे पहले पेल्विस की जांच की जाती है, जिसके बाद हिस्टेरोस्कोप डालने के लिए गर्भाशय ग्रीवा को चौड़ा किया जाता है।

4. ब्लड और म्यूकस हटाने के लिए खास प्रकार का फ्ल्यूड हिस्टेरोस्कोप के जरिए डाला जाता है। हिस्टेरोस्कोप में लाइट और कैमरे की वजह से जांच करने में मदद मिलती है।

5. इसके बाद गर्भाशय, गर्भाशय लाइनिंग और फैलोपियन ट्यूब की जांच की जाती है। जांच के दौरान अगर कुछ असामान्य स्थिति पाई जाती है तो हिस्टेरोस्कोप द्वारा सर्जिकल इन्स्ट्रुमेन्ट डालकर सर्जरी की जाती है।

हिस्टेरोस्कोपी के साइड इफेक्ट्स (Side Effects of Hysteroscopy in Hindi)

1. इस प्रक्रिया के दौरान हल्का एनेस्थीसिया दिया जाता है जिसकी वजह से मरीज को निगरानी में रखना पड़ता है।

2. की बार इस प्रक्रिया के दौरान गैस का इस्तेमाल किया जाता है, जिसकी वजह से कंधे में दर्द की संभावना रहती है।

3. थकान

4. पेल्विक एरिया में सूजन

5. गर्भाशय ग्रीवा में दिक्कत

6. प्रक्रिया के बाद ऐंठन और ब्लीडिंग होने की संभावना रहती है।

हेवी ब्लीडिंग, बुखार, पेट दर्द या ऐसे कोई भी असामान्य लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

हिस्टेरोस्कोपी के लिए तैयारी कैसे करें?(How to prepare for hysteroscopy in Hindi?)

स्त्री विशेषज्ञ के द्वारा जरूरी जांच के बाद हिस्टेरोस्कोपी का सुझाव (Recommendation for hysteroscopy) दिया जाता है। इस प्रक्रिया से पहले निम्नलिखित तैयारी करनी पड़ती है।

  • अगर आपको किसी दवाई या वस्तु से एलर्जी है तो डॉक्टर को उसके बारे में बताएं
  • प्रक्रिया के एक सप्ताह पहले गर्भावस्था का परिक्षण किया जाता है।
  • ब्लड टेस्ट और युरीन टेस्ट
  • प्रक्रिया में एनेस्थीसिया दिया जाता है, इसलिए प्रक्रिया से खाली पेट रहे जिससे एनेस्थीसिया की वजह से चक्कर, मतली की संभावना कम रहे।

हिस्टेरोस्कोपी के बाद क्या उम्मीद करें?(What to expect after a hysteroscopy in Hindi?)

हिस्टेरोस्कोपी के बाद क्या करे हिस्टेरोस्कोपी प्रक्रिया (Hysteroscopy Procedure) के दौरान एनेस्थीसिया दिया जाता है जिसकी वजह से कुछ घंटो तक मरीज को डॉक्टर की निगरानी में रहना पड़ता है। इस प्रक्रिया के बाद ब्लीडिंग और ऐंठन की समस्या हो सकती है। आम तौर पर मरीज 2-3 दिन में हीं अपनी दैनिक दिनचर्या फिर से शूरू कर सकते हैं लेकिन कोई असामान्य लक्षण दिखें तो डॉक्टर से परामर्श करें।

हिस्टेरोस्कोपी ट्रीटमेंट की लागत (cost of hysteroscopy in Hindi)

हिस्टेरोस्कोपी की लागत (Cost of Hysteroscopy) डॉक्टर का अनुभव, आधुनिक उपकरण जैसे कई कारकों पर निर्भर करती है। इस प्रक्रिया की औसत लागत 18000 से 25000 रूपए तक रहती है।

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निष्कर्ष (Hysteroscopy in Hindi)

आज के समय में बांझपन और गर्भपात की समस्या बढ़ रही है। ऐसे में इसके सटीक निदान के लिए हिस्टेरोस्कोपी (Hysteroscopy in Hindi) एक अच्छा विकल्प है। इस प्रक्रिया में गर्भाशय की नजदीक से जांच करने में मदद मिलती है, इतना ही नहीं जांच के दौरान कुछ असामान्य स्थिति पाई जाती है तो सर्जिकल इन्स्ट्रुमेन्ट (surgical instruments) डालकर सर्जरी भी की जाती है। इस प्रक्रिया में जोखिम बहुत कम है।

इस प्रक्रिया से पहले डॉक्टर द्वारा जरूरी जांच की जाती है, उसके बाद ही हिस्टेरोस्कोपी (Hysteroscopy in Hindi ) करने का सुझाव दिया जाता है। Diwya Vatsalya Mamta IVF पटना में एक प्रमुख फर्टिलिटी सेंटर है जो इनफर्टिलिटी समस्याओं के समाधान के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है। और आज ही हमारे IVF Specialist Doctor से संपर्क करे जो आपके परिवार की आकांक्षाओं को पूरा करने की दिशा में कदम रख सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (Hysteroscopy in Hindi FAQs)

हिस्टेरोस्कोपी कितना दर्दनाक है?

हिस्टेरोस्कोपी से पहले मरीज को एनेस्थीसिया दिया जाता है, जिसकी वजह से उन्हें कोई दर्द महसूस नहीं होता है। हालांकि प्रक्रिया के बाद थोड़ा दर्द महसूस होना आम बात है लेकिन असामान्य दर्द की परिस्थिति में डॉक्टर से संपर्क करें।

हिस्टेरोस्कोपी के क्या फायदे हैं?

इस प्रक्रिया के दौरान हिस्टेरोस्कोप का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें लाइट और कैमरे लगाए जाते है जिसकी वजह से गर्भाशय की अच्छे से जांच करने में मदद मिलती है, और अगर कुछ असामान्य स्थिति पाई जाती है तो उसी वक्त इन्स्ट्रुमेन्ट डालकर कर सर्जरी से दूर किया जा सकता है। Hysteroscopy के बारे में संपूर्ण जानकारी 

क्या हिस्टेरोस्कोपी सुरक्षित है?

आम तौर पर हिस्टेरोस्कोपी सुरक्षित प्रक्रिया है लेकिन एनेस्थीसिया की वजह से मरीज को घंटों तक निगरानी में रहना पड़ता है, ऐंठन और ब्लीडिंग, संक्रमण जैसी समस्या हो सकती है, लेकिन इसका इलाज भी संभव है।

हिस्टेरोस्कॉपी कैसे किया जाता है ?

पेल्विक एरिया के माध्यम से हिस्टेरोस्कोप को गर्भाशय में डाला जाता है, हिस्टेरोस्कोप में लाइट और कैमरे लगाए होते हैं जिसके जरिए गर्भाशय और गर्भाशय ग्रीवा की जांच की जाती है। इस प्रक्रिया में खास प्रकार के फ्ल्यूड का भी इस्तेमाल किया जाता है।

हिस्टेरोस्कॉपी कब किया जाना चाहिए?

मेनोपॉज के बाद भी ब्लीडिंग, बार बार गर्भपात, गर्भधारण करने में समस्या, पेल्विक एरिया में दर्द जैसे संकेत देखने पर हिस्टेरोस्कॉपी करना चाहिए।

हिस्टेरोस्कॉपी के बाद क्या नहीं करना चाहिए?

योनि का गांव ठीक होने या ब्लीडिंग से बचने के लिए हिस्टेरोस्कॉपी के बाद 4 से 6 सप्ताह तक सेक्स नहीं करने का सुझाव दिया जाता है।

हिस्टेरोस्कोपी के कितने दिन बाद पीरियड आता है

आमतौर पर:
1-3 सप्ताह: अधिकांश महिलाओं को हिस्टेरोस्कोपी के 1-3 सप्ताह के अंदर पीरियड्स आ जाते हैं।
कभी-कभी: कुछ महिलाओं को 4-6 सप्ताह तक भी इंतजार करना पड़ सकता है।
अनियमित: यदि आपके पहले से अनियमित पीरियड्स होते हैं, तो हिस्टेरोस्कोपी के बाद आपके पीरियड्स कब आएँगे, यह अनुमान लगाना मुश्किल हो सकता है।
अपने डॉक्टर से पूछें: किसी भी चिंता या प्रश्नों के लिए, अपने डॉक्टर से बात करें, खासकर यदि आपको 6 सप्ताह से अधिक समय तक पीरियड्स नहीं आते हैं या आपको भारी रक्तस्राव या तेज दर्द होता है।

हिस्टेरोस्कोपी के बाद क्या खाना चाहिए

हिस्टेरोस्कोपी के बाद:
पहले 2 दिन: तरल पदार्थ, फिर हल्का भोजन (टोस्ट, दलिया)
कुछ दिनों बाद: संतुलित आहार (फल, सब्जियां, प्रोटीन)
कब्ज से बचें: फल, सब्जियां, पानी
बचें: मसाला, कैफीन, शराब, धूम्रपान
डॉक्टर से सलाह लें!

Dr-Rashmi-Prasad

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