Female Infertility

Miscarriage in Hindi: जानिए गर्भपात क्या है? उसके लक्षण और इलाज

गर्भपात (Miscarriage) एक ऐसी स्थिति है जब गर्भधारण के शुरुआती चरणों में भ्रूण का विकास रुक जाता है और गर्भ में ही शिशु की मृत्यु हो जाने को गर्भपात या मिसकैरेज (Miscarriage in Hindi) कहते है। जो महिला के लिए सिर्फ शारीरिक हीं नहीं भावनात्मक रूप से भी दर्दनाक हो सकता है।

गर्भपात क्या है?( What is Miscarriage in Hindi)

आमतौर पर 10 से 20 प्रतिशत गर्भावस्था में गर्भपात का जोखिम रहता है। ज्यादातर मामलों में जब भ्रूण का सामान्य रूप से विकास न हो तब गर्भपात हो सकता है। गर्भावस्था में गर्भपात होना आम बात है, लेकिन यह अनुभव सब के लिए आसान नहीं होता है। ऐसे में गर्भपात के बाद उसके पीछे का कारण जानना जरूरी है।

आप हमारे (Miscarriage in Hindi) ब्लॉग को पूरा पढ़ने के बाद आप अछे तरीके से समझ जायेंगे गर्भपात क्या है? उसके लक्षण और उपचार इस बारे में बहुत ही विस्तार से बताने वाले हैं।

गर्भपात के प्रकार (Types of Miscarriage in Hindi)

गर्भपात के मामलों में तुरंत हीं डॉक्टर का संपर्क करें, गर्भपात के प्रकार के बारे में वे हीं आपको ज्यादा जानकारी दे सकते है।

• मिस्ड गर्भपात : कई बार गर्भपात के आम लक्षण न दिखने पर महिला को उसकी जानकारी नहीं होती है, ऐसे गर्भपात को मिस्ड गर्भपात कहां जाता है। ऐसे में अल्ट्रासाउंड करने पर भ्रूण के दिल की धड़कन की जांच कर पता लगाया जाता है।

• बार बार गर्भपात होना : लगभग 1 प्रतिशत दंपतियों को इस प्रकार के गर्भपात का सामना करना पड़ता है। इस परिस्थिति में महिला को लगातार तीन बार गर्भपात के दर्द से गुजरना पड़ता है।

• पूर्ण गर्भपात : इस परिस्थिति में पेट में दर्द और ब्लीडिंग शूरू हो जाता है। भ्रूण के टिशू पूर्ण रूप से बहार निकल जाते हैं और गर्भाशय खाली हो जाता है। ऐसे अल्ट्रासाउंड की मदद से इसका पता लगाया जाता है।

• अधूरा गर्भपात : अधूरा गर्भपात में क्या करे इस परिस्थिति में महिला के भ्रूण का छोटा सा भाग हीं बहार आ पाता है। इस दौरान महिला को ब्लीडिंग और पेट के निचले हिस्से में दर्द का सामना करना पड़ता है। इसका निदान भी अल्ट्रासाउंड के जरिए ही किया जाता है।

• थ्रेटेंड और इनएविटेबल मिसकैरेज : गर्भावस्था की पहली तिमाही के दौरान ब्लीडिंग होना थ्रेटेंड गर्भपात है। इसमें गर्भाशय ग्रीवा बंद हीं रहती है।  जबकि गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में वैजाइना से ब्लीडिंग होना और पेट में क्रैंप्स होने को इनएविटेबल गर्भपात कहते हैं। इसमें गर्भ नलिका चौड़ी हो जाती है।

• ब्लाइटेड ओवम : इस परिस्थिति में एक फर्टाइल एग गर्भाशय में प्रत्यारोपित होता है लेकिन भ्रूण में विकसित नहीं होता। इसमें गर्भधारण करने के बाद जल्द ही गर्भपात हो जाता है। कई बार गर्भावस्था का पता लगने से पहले ही गर्भपात हो जाता है।

गर्भपात क्यों होता है (Reasons of Miscarriage in Hindi)

गर्भपात के लिए आमतौर पर कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। इसके लिए डॉक्टर के सुझाव पर जरूरी जांच करने के बाद गर्भपात का सहीं कारण पता लगाया जा सकता है।

• उम्र : कभी कभी बढ़ती उम्र भी गर्भपात का एक कारण बन सकती है। अगर गर्भवती महिला की उम्र 35 साल से ज्यादा हो तो गर्भपात का जोखिम बढ़ जाता है।

• जेनेटिक समस्याएं : भ्रूण में जीनेटीक समस्या की वजह से भी गर्भपात हो सकता है।

• पेन किलर्स : गर्भावस्था के दौरान पेन किलर्स जैसे की नेप्रोक्सन, इबुप्रोफेन आदि का इस्तेमाल करना हानिकारक हो सकता है। इनके सेवन भ्रूण के विकास पर असर पड़ता है। जिसकी वजह से गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है।

• हार्मोन की कमी : भ्रूण के विकास के लिए हार्मोन का स्राव महत्वपूर्ण होता है, हार्मोन के असामान्य स्तर की वजह से गर्भपात का जोखिम बढ़ जाता है।

• एग या स्पर्म की खराब क्वालिटी : अगर महिला के एग या फिर पुरुष के स्पर्म की क्वालिटी खराब हो या स्पर्म काउंट कम हो तो भी गर्भपात का खतरा बना रहता है।

• बीमारियां : PCOS, थाइराइड, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़ जैसी बीमारियों की वजह से भी गर्भपात हो सकता है।

• स्मोकिंग और एल्कोहल : गर्भावस्था के दौरान स्मोकिंग, एल्कोहल और कैफीन के सेवन का भ्रूण के विकास पर असर पड़ता है। जिसकी वजह से गर्भपात का खतरा बना रहता है।

• अन्य कारणों : HIV, हर्पीज़, रुबेला जैसे संक्रमण या फिर फोलिक एसिड जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की कमी या अत्यधिक शारीरिक श्रम से भी गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है।

गर्भपात के लक्षण (Symptoms of Miscarriage in Hindi)

गर्भपात के लक्षण हर महिला में अलग हो सकते हैं, लेकिन सामान्यत: कुछ प्रमुख लक्षण होते हैं जिनकी पहचान से डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना जरूरी है।

पीरियड्स की तरह पेट में ऐंठन आना और वेजाइना से ब्लीडिंग होना गर्भपात का सबसे आम लक्षण हैं।

गर्भावस्था में पीठ में दर्द होना आम बात है लेकिन अगर ज्यादा दर्द हो तो वह गर्भपात का संकेत हो सकता है, ऐसे में तुरंत हीं डॉक्टर से संपर्क करें।

गर्भावस्था के दौरान गर्भस्थ शिशु की वजह से मां का वजन थोडा बढ़ता है लेकिन अगर मां का वजन कम हो जाए तो तुरंत ही डॉक्टर से परामर्श करें।

वेजाइना से भूरे या गहरे लाल रंग का रक्तस्राव होना

स्पॉटिंग या खून के थक्के या ज्यादा रक्तस्राव होना।

वेजाइना से टिशू का डिस्चार्ज होना।

गर्भावस्था के लक्षण जैसे की उल्टी आदि में कमी आना।

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गर्भपात का निदान कैसे किया जाता है (Diagnosis of Miscarriage in Hindi)

• ब्लड टेस्ट : महिला के ब्लड में ह्युमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन के लेवल की पुष्टि की जाती है।

• अल्ट्रासाउंड : इसके जरिए डॉक्टर भ्रूण के विकास की जांच करते हैं और इससे भ्रूण के दिल की धड़कन की पुष्टि भी कई जाती है, जिससे पता चलता है की भ्रूण स्वस्थ हैं या नहीं।

• टिशू (उत्तक) टेस्ट : इस जांच में डॉक्टर गर्भाशय ग्रीवा से बाहर निकलने वाले टिशू की जांच करते हैं।

• क्रोमोसोम टेस्ट : अगर पहले भी गर्भपात हो चुका हो तो ऐसे में क्रोमोसोम संबंधी परेशानी का पता लगाने के लिए डॉक्टर दंपती का ब्लड टेस्ट करवा सकते हैं।

• पेल्विक टेस्ट : इस जांच के दौरान डॉक्टर गर्भाशय ग्रीवा यानी सर्विक्स के फैलाव की जांच करते हैं।

• एनीमिया : इन सभी टेस्ट के अलावा जरूर पड़ने पर डॉक्टर एनीमिया का टेस्ट करने का सुझाव भी दे सकते है।

गर्भपात का उपचार (Treatment of Miscarriage in Hindi)

गर्भपात की पुष्टि करने के लिए डॉक्टर सबसे पहले अल्ट्रासाउंड, पेल्विक और ब्लड टेस्ट करने के लिए कह सकते हैं। अगर गर्भपात पूरी तरह से हो गया है और गर्भाशय खाली हो तो फिर किसी उपचार की आवश्यकता नहीं है। की बात गर्भपात पूर्ण रूप से नहीं हुआ होता है ऐसे में डाइलेशन और क्यूरेटेज की प्रक्रिया की जाती है। इस प्रक्रिया के दौरान गर्भाशय ग्रीवा को फैलाया जाता है और भ्रूण के बाकी अवशेषों को गर्भाशय से बहार निकाला जाता है।

निष्कर्ष

गर्भावस्था के 20वें सप्ताह से पहले ही अगर गर्व में ही शिशु की मृत्यु हो जाए तो उसे गर्भपात कहां जाता है। जब गर्भावस्था में शिशु का सामान्य रूप से विकास न हो तब गर्भपात (Miscarriage in Hindi) की संभावना बढ़ जाती है। अगर किसी महिला को एक से अधिक बार गर्भपात हो चुका हो तो उन्हें फिर से गर्भधारण करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना जरूरी है। जिससे फिर से गर्भपात होने से बचा जा सके।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

गर्भपात होने का क्या कारण हो सकता है?

गर्भपात के लिए महिला की उम्र, जेनेटिक समस्याएं, महिला के एग या पुरुष के स्पर्म की खराब क्वालिटी, स्मोकिंग और एल्कोहल के ज्यादा सेवन भी गर्भपात का कारण बन सकता है।

गर्भपात कब होता है?

आमतौर पर गर्भावस्था के 20वें सप्ताह से पहले गर्भपात का जोखिम ज्यादा रहता है। जब गर्भ में भ्रूण का विकास सामान्य रूप से न हो तो गर्भपात हो सकता है।

गर्भपात के बाद क्या न खाएं?

गर्भपात के बाद प्रोसेस्ड फूड और शूगर, जंक फूड से बचें।

क्या तनाव के कारण गर्भपात हो सकता है?

तनाव की वजह से गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है, जिसका सीधा असर गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य पर पड़ता है।

गर्भपात की पुष्टि कैसे की जाती है?

अल्ट्रासाउंड, ब्लड टेस्ट, सोनोग्राफी के जरिए गर्भपात की पुष्टि की जाती है।

गर्भपात के बाद पीरियड्स कितने दिन में आते हैं?

गर्भपात होने के 4 से 8 सप्ताह के अंदर पीरियड्स आने शुरू हो जाते हैं।

Dr. Rashmi Prasad

Dr. Rashmi Prasad is a highly respected infertility and gynecology specialist with over 20 years of experience. As Director of Diwya Vatsalya Mamta IVF Centre, she is dedicated to helping couples achieve their dream of parenthood. Dr. Prasad holds an MD in Infertility and Gynecology, along with a Postgraduate Diploma in Assisted Reproductive Technology (ART) from Schleswig-Holstein, Germany. Her expertise covers infertility, IVF, pregnancy care, and male infertility, making her a trusted leader in reproductive health. Dr. Prasad has received several honors, including the Asia’s Greatest Award (2017), Icon of Bihar (2013), National Fertility Award (2022), and Mirchi Excellence Award (2024).

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