Female Infertility

Endometrium Meaning in Hindi: एंडोमेट्रियम क्या है? कारण और इलाज

एंडोमेट्रियम गर्भाशय (uterus) की भीतरी परत होती है, जो महिलाओं में मासिक धर्म (menstruation) और प्रजनन स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हर महीने, यह परत हार्मोनल बदलावों के कारण मोटी हो जाती है ताकि यह संभावित गर्भावस्था के लिए तैयार हो सके।

Endometrium Meaning in Hindi ब्लॉग में एंडोमेट्रियम से जुड़ी समस्याएँ विस्तृत जानकारी प्रदान की हैं, जिसमें इसके कार्यों, इसलिए सही जानकारी और इलाज बेहद ज़रूरी है।

एंडोमेट्रियम क्या होता है? (Endometrium Meaning in Hindi)

In this Article

एंडोमेट्रियम गर्भाशय की सबसे भीतरी परत है, जो महिलाओं में मासिक धर्म और गर्भधारण की प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाती है। आमतौर पर, यह परत गर्भाशय के अंदर ही रहती है। लेकिन एंडोमेट्रियोसिस नामक एक स्थिति में, यह ऊतक गर्भाशय के बाहर, जैसे अंडाशय या श्रोणि क्षेत्र में बढ़ने लगते हैं, जिससे दर्द और अन्य समस्याएँ हो सकती हैं।।

एंडोमेट्रियम की संरचना (Structure of the Endometrium in Hindi)

एंडोमेट्रियम की संरचना तीन मुख्य परतों में विभाजित होती है:

1. बेसल परत (Basal Layer): यह गहरी और स्थायी परत होती है, नई कोशिकाओं के निर्माण में सहायक होती है

2. कार्यात्मक परत (Functional Layer): यह ऊपरी परत होती है, जो मासिक धर्म के दौरान बाहर निकल जाती है, हार्मोनल बदलावों के कारण हर महीने मोटी हो जाती है।

3. ग्लैंड्स और रक्त वाहिकाएँ (Glands and Blood Vessels): एंडोमेट्रियम में विशेष ग्लैंड्स और रक्त वाहिकाएँ होती हैं, जो गर्भावस्था के लिए पोषक तत्व प्रदान करती हैं।

एंडोमेट्रियम की ये परतें मिलकर एक जटिल संरचना बनाती हैं, जो मासिक धर्म चक्र के हर चरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

एंडोमेट्रियम कैसे काम करता है? (How Does the Endometrium Function)

एंडोमेट्रियम का कार्य मासिक धर्म चक्र के विभिन्न चरणों में बदलता रहता है:

1. मासिक धर्म चरण (Menstrual Phase): गर्भावस्था न होने पर, एंडोमेट्रियम की बाहरी परत टूटती है और मासिक रक्तस्राव होता है।

2. फॉलिक्यूलर चरण (Follicular Phase): एस्ट्रोजन हार्मोन के प्रभाव से, एंडोमेट्रियम धीरे-धीरे मोटा होने लगता है।

3. ओव्यूलेशन चरण (Ovulation Phase): अंडाशय से अंडाणु निकलता है, और एंडोमेट्रियम गर्भावस्था के लिए तैयार होता है।

4. ल्यूटियल चरण (Luteal Phase): प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन एंडोमेट्रियम को और मजबूत बनाता है। यदि अंडाणु निषेचित नहीं होता, तो यह फिर से टूटकर मासिक धर्म के रूप में बाहर निकलता है।

एंडोमेट्रियम होने का कारण? (Causes of Endometrium in Hindi)

एंडोमेट्रियम एक ऐसी बीमारी है जिसमें गर्भाशय की परत जैसा ऊतक, जो आमतौर पर गर्भाशय के अंदर होता है, शरीर के अन्य हिस्सों में जैसे कि अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब या आंत में बढ़ने लगता है। दरअसल, इसका सही कारण अभी तक पूरी तरह से पता नहीं चल पाया है। लेकिन कुछ संभावित कारणों पर वैज्ञानिकों का ध्यान गया है:

1. रिट्रोग्रेड मासिक धर्म: मासिक धर्म के दौरान, रक्त और एंडोमेट्रियल ऊतक फैलोपियन ट्यूब के माध्यम से पेल्विस में वापस बह सकता है और वहां फंस सकता है।

2. आनुवंशिक कारक: कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि एंडोमेट्रियम आनुवंशिक रूप से प्रसारित हो सकता है।

3. इम्यून सिस्टम की समस्याएं: कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि इम्यून सिस्टम की समस्याएं एंडोमेट्रियम में भूमिका निभा सकती हैं।

जब यह अतिरिक्त ऊतक बढ़ता है, तो यह आसपास के अंगों को चिपका सकता है जिससे दर्द होता है। यह दर्द मासिक धर्म के दौरान या अन्य समय भी हो सकता है।

एंडोमेट्रियम होन के लक्षण? (Symptoms of Endometrium in Hindi)

एंडोमेट्रियम के लक्षण हर महिला में अलग-अलग हो सकते हैं, और कुछ महिलाओं को कोई लक्षण महसूस भी नहीं हो सकता। कुछ सामान्य लक्षणों के बारे में नीचे विस्तार से बताया गया है:

1. मासिक धर्म के दौरान दर्द: एंडोमेट्रियम वाली महिलाओं को आमतौर पर मासिक धर्म के दौरान बहुत तेज दर्द होता है, जिसे डिस्मेनोरिया कहते हैं।

2. पेट के निचले हिस्से में दर्द: यह दर्द मासिक धर्म के दौरान या अन्य समय में भी हो सकता है।

3. सेक्स के दौरान दर्द: यौन संबंध के दौरान दर्द होना एंडोमेट्रियम का एक आम लक्षण है।

4. पेशाब करते समय या आंत आंदोलन के दौरान दर्द: जब एंडोमेट्रियम मूत्राशय या आंत को प्रभावित करता है, तो इन क्रियाओं के दौरान दर्द हो सकता है।

मासिक धर्म से सम्बंधित समस्या के लक्षण (Symptoms of menstrual problems)

1. भारी मासिक धर्म: एंडोमेट्रियम से मासिक धर्म का रक्तस्राव अधिक हो सकता है।

2. लंबे समय तक चलने वाला मासिक धर्म: मासिक धर्म का समय सामान्य से अधिक लंबा हो सकता है।

3. अनियमित मासिक धर्म: मासिक धर्म चक्र अनियमित हो सकता है।

4. कब्ज या दस्त: एंडोमेट्रियम आंत को प्रभावित कर सकता है, जिससे कब्ज या दस्त की समस्या हो सकती है।

5. थकान: एंडोमेट्रियम से शरीर में सूजन हो सकती है, जिससे थकान महसूस हो सकती है।

6. बांझपन: एंडोमेट्रियम बांझपन का एक कारण हो सकता है।

लक्षणों की गंभीरता व्यक्ति से व्यक्ति में भिन्न होती है। कुछ महिलाओं को हल्के लक्षण होते हैं, जबकि कुछ को बहुत गंभीर लक्षण होते हैं। एंडोमेट्रियम के लक्षण अन्य बीमारियों के लक्षणों के समान हो सकते हैं, इसलिए सही निदान के लिए डॉक्टर से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।

एंडोमेट्रियोसिस का निदान और परीक्षण कैसे किया जाता है?

एंडोमेट्रियम का निदान करना हमेशा आसान नहीं होता (Endometrium Meaning in Hindi) क्योंकि इसके लक्षण अन्य बीमारियों के लक्षणों के समान हो सकते हैं। इसलिए, निदान के लिए डॉक्टर कई तरह के परीक्षणों का सहारा लेते हैं।

सबसे आम परीक्षण हैं

1. लैप्रोस्कोपी: यह एक सर्जिकल प्रक्रिया है लैप्रोस्कोपी सर्जिकल प्रक्रिया जिसमें डॉक्टर पेट में एक छोटा चीरा लगाकर एक छोटे कैमरे की मदद से अंदर की जांच करते हैं। यह एंडोमेट्रियम का निदान करने का सबसे सटीक तरीका है। इस प्रक्रिया के दौरान, डॉक्टर अतिरिक्त ऊतक के नमूने भी ले सकते हैं ताकि उनकी जांच की जा सके।

2. अल्ट्रासाउंड: इस परीक्षण में ध्वनि तरंगों का उपयोग करके पेट के अंगों की तस्वीरें ली जाती हैं। अल्ट्रासाउण्ड सोनोग्राफी से डॉक्टर अंडाशय या अन्य अंगों में किसी भी असामान्य वृद्धि का पता लगा सकते हैं।

3. एमआरआई (Magnetic Resonance Imaging): यह एक इमेजिंग परीक्षण है जो शरीर के अंदर के अंगों की विस्तृत तस्वीरें लेता है। एमआरआई एंडोमेट्रियम का पता लगाने में बहुत उपयोगी हो सकता है।

4. सीटी स्कैन (Computed Tomography Scan): यह एक इमेजिंग परीक्षण है जो शरीर के अंदर के अंगों की क्रॉस-सेक्शनल तस्वीरें लेता है। सीटी स्कैन का उपयोग एंडोमेट्रियम का पता लगाने के लिए भी किया जा सकता है।

इन परीक्षणों के अलावा, डॉक्टर निम्नलिखित भी कर सकते हैं:

1. शारीरिक परीक्षा: डॉक्टर आपके पेट को दबाकर किसी भी दर्द या सूजन की जांच करेंगे।

2. पेल्विक परीक्षा: डॉक्टर आपकी योनि और गर्भाशय की जांच करेंगे।

3. रक्त परीक्षण: कुछ रक्त परीक्षणों का उपयोग एंडोमेट्रियम के निदान में मदद के लिए किया जा सकता है, लेकिन ये परीक्षण हमेशा सटीक नहीं होते हैं।

एंडोमेट्रियम का निदान (Diagnosis of Endometrium in Hindi)

निदान में समय लग सकता है, कभी-कभी एंडोमेट्रियम का निदान करने में कई साल लग सकते हैं क्योंकि इसके लक्षण अन्य बीमारियों के लक्षणों के समान हो सकते हैं। यदि आपको लगता है कि आपको एंडोमेट्रियम हो सकता है, तो डॉक्टर से संपर्क करना महत्वपूर्ण है।

एंडोमेट्रियम का पता लगाने के लिए डॉक्टर कई तरीके अपनाते हैं। सबसे पहले, वे आपकी शिकायतों को सुनेंगे, खासकर मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द के बारे में। फिर, वे आपकी शारीरिक जांच करेंगे। अगर ज़रूरत पड़ी तो अल्ट्रासाउंड या एमआरआई जैसी जांचें करवाई जा सकती हैं।

सबसे सटीक तरीका है लैप्रोस्कोपी। इस सर्जरी में डॉक्टर आपके पेट में एक छोटा चीरा लगाकर एक कैमरे की मदद से अंदर देखते हैं। इस तरह वे एंडोमेट्रियम की पुष्टि कर सकते हैं।

कई बार, एंडोमेट्रियोसिस का पता किसी अन्य बीमारी की जांच करते समय लग जाता है क्योंकि हर महिला को इसके लक्षण नहीं होते।

एंडोमेट्रियम के उपचार? (Treatment of Endometrium in Hindi)

एंडोमेट्रियम का उपचार व्यक्ति से व्यक्ति और बीमारी की गंभीरता के आधार पर अलग-अलग होता है। इसका उद्देश्य दर्द को कम करना, मासिक धर्म को नियंत्रित करना और प्रजनन क्षमता को बनाए रखना होता है।

उपचार के कुछ सामान्य तरीके निम्नलिखित हैं:

1. दर्द निवारक दवाएं: दर्द को कम करने के लिए ओवर-द-काउंटर या डॉक्टर द्वारा बताई गई दर्द निवारक दवाएं ली जा सकती हैं।

2. हार्मोनल थेरेपी: हार्मोन थेरेपी का उपयोग मासिक धर्म को रोकने या धीमा करने के लिए किया जाता है, जिससे एंडोमेट्रियम के लक्षणों में सुधार हो सकता है। इसमें गर्भ निरोधक गोलियां, पैच, या इंजेक्शन शामिल हो सकते हैं।

3. सर्जरी: गंभीर मामलों में सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। लैप्रोस्कोपी एक सामान्य सर्जरी है जिसमें छोटे चीरों के माध्यम से एंडोमेट्रियम के ऊतक को हटाया जाता है।

4. अन्य उपचार: कुछ मामलों में, डॉक्टर अन्य उपचार विकल्पों की सिफारिश कर सकते हैं, जैसे कि न्यूरोमोड्यूलेशन या पूरक चिकित्सा।

उपचार का चुनाव कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे:

1. लक्षणों की गंभीरता: यदि लक्षण हल्के हैं तो दर्द निवारक दवाएं पर्याप्त हो सकती हैं।

2. आयु: युवा महिलाओं के लिए हार्मोनल थेरेपी अधिक उपयुक्त हो सकती है।

3. प्रजनन योजनाएं: यदि आप भविष्य में बच्चे पैदा करना चाहती हैं, तो डॉक्टर आपके लिए उपचार योजना बनाते समय इस बात का ध्यान रखेंगे।

पतली एंडोमेट्रीनियम होने का मतलब क्या है? (Thin Endometrium Meaning in Hindi)

यह भ्रूण के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जब यह परत सामान्य से पतली होती है, तो इसे पतली एंडोमेट्रियम कहते हैं। पतली एंडोमेट्रियम के कारण निषेचित अंडे को गर्भाशय की दीवार में लगने में मुश्किल होती है, जिससे गर्भधारण में समस्या हो सकती है। 

यह स्थिति हार्मोनल असंतुलन, कुछ दवाओं, या अन्य स्वास्थ्य स्थितियों के कारण हो सकती है। पतली एंडोमेट्रियम के लक्षणों में अनियमित मासिक धर्म या गर्भधारण में कठिनाई शामिल हो सकती है। इसका इलाज हार्मोन थेरेपी या जीवनशैली में बदलाव जैसे उपायों से किया जा सकता है। यदि आपको गर्भधारण में कठिनाई हो रही है और आपको लगता है कि आपके पास पतली एंडोमेट्रियम हो सकती है, तो डॉक्टर से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।

पतली एंडोमेट्रियम होने के क्या लक्षण होते हैं?

पतली एंडोमेट्रियम हमेशा स्पष्ट लक्षणों के साथ नहीं आता है। कई बार, महिलाओं को इसका पता तब चलता है जब वे गर्भधारण करने में असमर्थ होती हैं। हालांकि, कुछ सामान्य लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:

1. अनियमित मासिक धर्म: मासिक धर्म चक्र अनियमित हो सकता है, या मासिक धर्म पूरी तरह से बंद भी हो सकता है।

2. कम मात्रा में मासिक धर्म: मासिक धर्म का रक्तस्राव सामान्य से कम हो सकता है।

3. गर्भधारण में कठिनाई: पतली एंडोमेट्रियम निषेचित अंडे को गर्भाशय की दीवार में लगने में मुश्किल बनाता है, जिससे गर्भधारण में कठिनाई हो सकती है।

4. बार-बार गर्भपात: यदि गर्भधारण हो भी जाता है, तो पतली एंडोमेट्रियम के कारण गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है।

5. पेल्विक दर्द: कुछ महिलाओं को पेट के निचले हिस्से में हल्का दर्द या ऐंठन महसूस हो सकती है।

ये लक्षण अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के कारण भी हो सकते हैं। इसलिए, यदि आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दे तो डॉक्टर से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।

पतली एंडोमेट्रियम का इसका इलाज केसे किया जाता है?

पतली एंडोमेट्रियम का इलाज उसके अंतर्निहित कारण और व्यक्ति की विशिष्ट स्थिति पर निर्भर करता है। इसका लक्ष्य एंडोमेट्रियम की मोटाई बढ़ाना और गर्भाशय को गर्भावस्था के लिए तैयार करना होता है।

सामान्य रूप से अपनाए जाने वाले उपचारों में शामिल हैं:

जन थेरेपी: यह सबसे आम उपचार है। एस्ट्रोजन हार्मोन एंडोमेट्रियम को मोटा करने में मदद करता है।

क्लोमिड: यह दवा ओवुलेशन को प्रेरित करती है और एस्ट्रोजन के उत्पादन को बढ़ाती है।

स्वस्थ आहार: फलों, सब्जियों और संतुलित आहार का सेवन एंडोमेट्रियम के स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।

तनाव प्रबंधन: तनाव एंडोमेट्रियम को प्रभावित कर सकता है, इसलिए योग, ध्यान जैसी गतिविधियां फायदेमंद हो सकती हैं।

वजन नियंत्रण: स्वस्थ वजन बनाए रखने से हार्मोनल संतुलन में सुधार हो सकता है।

सर्जरी: कुछ मामलों में, जैसे कि गर्भाशय के अंदर आसंजन होने पर, सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।

सहायक प्रजनन तकनीक: यदि अन्य उपचार प्रभावी नहीं होते हैं, तो इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) जैसे सहायक प्रजनन तकनीक का उपयोग किया जा सकता है।

मोटी एंडोमेट्रीनियम होने से क्या होता है?

एंडोमेट्रियम गर्भाशय की भीतरी परत होती है जो हर महीने मासिक धर्म चक्र के दौरान मोटी होती है और फिर झड़ती है। यह परत गर्भावस्था के दौरान भ्रूण को पोषण देने का काम करती है। जब यह परत सामान्य से अधिक मोटी हो जाती है, तो इसे मोटी (Thick Endometrium in Hindi) एंडोमेट्रियम कहते हैं। यह कई कारणों से हो सकता है जैसे कि हार्मोनल असंतुलन, पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम या कुछ दवाओं के सेवन से। मोटी एंडोमेट्रियम के कारण अनियमित मासिक धर्म, भारी रक्तस्राव, पेट में दर्द और कुछ मामलों में गर्भपात का खतरा भी बढ़ सकता है।

एंडोमेट्रीनियम किसे और केसे होता है?

एंडोमेट्रियम गर्भाशय की भीतरी सतह पर पाया जाने वाला एक विशेष प्रकार का ऊतक है। इसे गर्भाशय का अस्तर भी कहा जाता है। यह ऊतक हर महीने मासिक धर्म चक्र के दौरान मोटा होता है और फिर झड़ता है।

एंडोमेट्रियम कैसे बनता है?

एंडोमेट्रियम का निर्माण हार्मोन के प्रभाव के कारण होता है। मासिक धर्म चक्र के दौरान, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन नामक हार्मोन के स्तर में उतार-चढ़ाव होता है। ये हार्मोन एंडोमेट्रियम को मोटा होने और फिर झड़ने के लिए प्रेरित करते हैं।

एस्ट्रोजन: यह हार्मोन एंडोमेट्रियम को मोटा बनाने में मदद करता है ताकि निषेचित अंडा उसमें आसानी से आरोपित हो सके।

प्रोजेस्टेरोन: यदि निषेचन नहीं होता है तो यह हार्मोन एंडोमेट्रियम को झड़ने के लिए प्रेरित करता है।

निष्कर्ष

एंडोमेट्रियम एक जटिल स्वास्थ्य समस्या है जिसमें गर्भाशय की अंदरूनी परत (एंडोमेट्रियम) शरीर के अन्य हिस्सों में बढ़ने लगती है। यह स्थिति कई महिलाओं को प्रभावित करती है और दर्द, अनियमित मासिक धर्म और बांझपन जैसी समस्याएं पैदा कर सकती है। यदि आपको लगता है कि आप एंडोमेट्रियम से पीड़ित हो सकते हैं, तो आपको आज ही दिव्य वात्सल्य ममता IVF के प्रशिद्ध Gynaecologist Specialist Doctor से सलाह लेनी चाहिए। वे आपको विशेषज्ञ सलाह प्रदान करेंगे और उचित निदान और उपचार की सलाह देंगे।

हालांकि एंडोमेट्रियम के सटीक कारण अभी तक पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हुए हैं, लेकिन कुछ संभावित कारणों में मासिक धर्म का रक्त पीछे की ओर बहना, आनुवंशिक कारक और इम्यून सिस्टम की समस्याएं शामिल हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

एंडोमेट्रियम का नार्मल साइज कितना होना चाहिए?

एंडोमेट्रियम की मोटाई मासिक धर्म चक्र के विभिन्न चरणों में बदलती रहती है। आम तौर पर, मासिक धर्म के पहले दिन एंडोमेट्रियम सबसे पतला होता है और अंडाशय से अंडा छोड़ने के बाद (ओव्यूलेशन) यह सबसे मोटा होता है। हालांकि, “नॉर्मल” मोटाई व्यक्ति से व्यक्ति में भिन्न हो सकती है।
ओव्यूलेशन के समय: 7-14 मिमी मोटाई को सामान्य माना जाता है।
मासिक धर्म के पहले दिन: 2-5 मिमी मोटाई सामान्य मानी जाती है।

क्या 7 मिमी एंडोमेट्रियम अच्छा है?

ओव्यूलेशन के आसपास 7 मिमी एंडोमेट्रियम की मोटाई सामान्य मानी जाती है। यह दर्शाता है कि आपका शरीर गर्भावस्था के लिए तैयार हो रहा है। हालांकि, यह निश्चित रूप से कहना मुश्किल है कि 7 मिमी हमेशा अच्छा होता है क्योंकि यह कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि आपका मासिक धर्म चक्र कहाँ है, आपकी उम्र, और आपकी चिकित्सा इतिहास।

एंडोमेट्रियम कैंसर कब बनता है?

सीधे तौर पर एंडोमेट्रियम कैंसर में नहीं बदलता है। हालांकि, कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि एंडोमेट्रियम वाली महिलाओं में ओवेरियन कैंसर का खतरा थोड़ा बढ़ सकता है। लेकिन यह बहुत दुर्लभ है और सभी महिलाओं में होता नहीं है।

एंडोमेट्रियम का इलाज नहीं होने पर क्या होता है?

एंडोमेट्रियम का इलाज न करना कई गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है। लगातार और गंभीर दर्द, बांझपन, पाचन समस्याएं, थकान और डिप्रेशन जैसी स्थितियां विकसित हो सकती हैं। इसके अलावा, एंडोमेट्रियम से अंगों के आसपास निशान ऊतक बन सकता है, जिससे अंगों के कामकाज में बाधा पड़ सकती है।

यदि आपका एंडोमेट्रियोमा नहीं हटा है तो क्या होगा?

एंडोमेट्रियोमा एंडोमेट्रियोसिस के कारण अंडाशय या अन्य अंगों पर बनने वाले सिस्ट होते हैं। यदि इन्हें नहीं हटाया जाता है, तो वे बढ़ सकते हैं और दर्द, बांझपन और अन्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं। कुछ मामलों में, वे फट सकते हैं और गंभीर संक्रमण का कारण बन सकते हैं।

Dr. Rashmi Prasad

Dr. Rashmi Prasad is a renowned Gynaecologist and IVF doctor in Patna. She is working as an Associate Director (Infertility and Gynaecology) at the Diwya Vatsalya Mamta IVF Centre, Patna. Dr. Rashmi Prasad has more than 20 years of experience in the fields of obstetrics, gynaecology, infertility, and IVF treatment.

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