Female Infertility

Uterus Meaning in Hindi: गर्भाशय का मतलब, लक्षण और उपचार

गर्भाशय का मतलब (Uterus Meaning in Hindi) महिला का जननांग है। महिला को संतान सुख प्राप्ति के लिए गर्भाशय एक महत्वपूर्ण अंग है। गर्भाशय में हीं भृण एक बच्चे में विकसित होता है और बच्चे के जन्म तक गर्भाशय (Uterus Meaning in Hindi) में हीं उसका पालन पोषण होता है। इसका आकार नाशपाती की तरह होता है।

गर्भाशय क्या है? (Uterus Meaning in Hindi/Uterus in Hindi)

In this Article

आप हमारे (Uterus Meaning in Hindi) ब्लॉग को पूरा पढ़ने के बाद आप अछे तरीके से समझ जायेंगे की गर्भाशय क्या है? और गर्भाशय कैसा एवं गर्भाशय की समस्या का निदान कैसे करे।

गर्भाशय महिलाओं में मूत्राशय और मलाशय के बीच में पाया जाता है। गर्भावस्था के दौरान भृण गर्भाशय में हीं बच्चे के रूप में विकसित होता है। गर्भावस्था के दौरान गर्भाशय का आकार भी बढ़ता है। बच्चे के जन्म के बाद गर्भाशय वापस अपने मूल आकार में आ जाता है। गर्भाशय (uterus meaning in hindi) महिला के प्रजनन तंत्र का एक महत्वपूर्ण अंग होता है। इसलिए महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए बहुत आवश्यक है।

गर्भाशय क्या करता है? (What does Uterus do)

गर्भधारण करने के लिए गर्भाशय का होना अति आवश्यक है। गर्भाशय में हीं भृण एक बच्चे में विकसित होता है और गर्भाशय में हीं उसका पालन पोषण होता है। बच्चे के जन्म के दौरान भी गर्भाशय की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।

गर्भाशय कैसा दिखता है? (How Does Uterus Look Like)

गर्भाशय उल्टे नाशपाती की तरह दिखता है। जो गर्भधारण से बच्चे के जन्म तक तरबूज की तरह बड़ा हो सकता है। इतना ही नहीं पीरियड्स के वक्त भी गर्भाशय के आकार में बदलाव आता है।

आपके शरीर में गर्भाशय कहाँ है? (Where is Uterus located)

गर्भाशय महिलाओं के मलाशय और मूत्राशय के बीच में स्थित होता है।

गर्भाशय किससे बना है? (What is Uterus Made From)

गर्भाशय मांसपेशियों और बॉयलर से बना होता है। जिसके अंदर भृण एक बच्चे में विकसित होता है। गर्भाशय की दीवार रक्तमांस की परत से बनी हुई होती है।

आपका गर्भाशय कितना बड़ा है? (What is Uterus Size)

महिला का गर्भाशय सामान्य रूप से 3 से 4 इंच लंबा और 2.5 इंच चौड़ा होता है।

गर्भावस्था के दौरान गर्भाशय कितना बड़ा होता है? (Uterus Size During Pregnancy)

गर्भावस्था के दौरान बच्चे के लिए गर्भाशय का आकार उसके अनुरूप बढ़ता है। बच्चे के जन्म तक गर्भाशय 2 पाउंड तक का हो सकता है। बच्चे के जन्म के दौरान बच्चे को बहार निकालने के लिए गर्भाशय सिकुड़ता है। बच्चे के जन्म के 6 सप्ताह बाद महिला का गर्भाशय वापस अपने मूल आकार में आ जाता है।

र्भाशय की समस्या क्या हैं? (Types of Fertility Disease in Uterus)

गर्भधारण करने के लिए गर्भाशय होना जरूरी है, लेकिन कई बार गर्भाशय की कुछ समस्या इसमें बाधा डाल सकती है, ऐसे में गर्भाशय संबंधित समस्याओं के बारे में जानना बहुत जरूरी है।

1. यूटेरो वैजाइनल प्रोलैप्स :  इस परिस्थिति में गर्भाशय को अपनी जगह पर रखने वाली मांसपेशियां और लिगामेंट्स कमजोर हो जाते है। जिसकी वजह से गर्भाशय नीचे खिसका जाता है और योनि से बाहर निकल आया है।

2. एंडोमेट्रियोसिस : एंडोमेट्रियोसिस में गर्भाशय की लाइनिंग बनाने वाले टिश्यू गर्भाशय के बहार विकसित होने लगते है। ओवरी, बाउल और पेल्विस की लाइनिंग के टिश्यू पर एंडोमेट्रियल टिश्यू विकसित होने लगते है तब यह समस्या पैदा होती है।

3. गर्भाशय फाइब्रॉइड्स : गर्भाशय में फाइब्रॉइड यूटेरस का अर्थ (fibroid uterus meaning in Hindi) है कि गर्भाशय में गैर-कैंसरयुक्त गाँठें । फाइब्रॉइड्स की वजह से गर्भाशय की दीवारों में वृद्धि होती है। फाइब्रॉइड्स को गांठ भी कहां जाता है, लेकिन यह गांठ सामान्य होती है। फाइब्रॉइड्स की समस्या वैसे तो अपने आप ठीक हो जाती है लेकिन अगर दर्द जैसी कोई समस्या हो तो डॉक्टर से संपर्क करना ज़रूरी है।

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गर्भाशय की समस्याओं के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Fertility Disease in Uterus in Hindi)

  • अचानक युरिन निकल आना, युरिन पर बिल्कुल भी कंट्रोल न रहना, पीठ के निचले हिस्से में दर्द हो तो वह यूटेरो वैजाइनल प्रोलैप्स के लक्षण हो सकते है।
  • एंडोमेट्रियोसिस में टोयलेट जाते वक्त दर्द, डायरिया, कब्ज, पेल्विक एरिया में दर्द, पीरियड्स के दौरान दर्द जैसे लक्षण देखे जा सकते है।
  • गर्भाशय में फाइब्रॉइड्स हो तो अनियमित पीरियड्स, हैवी ब्लीडिंग, पेल्विक एरिया में दर्द, सेक्स के दौरान दर्द, बार बार युरीन जाना, गर्भधारण करने में असफलता जैसे लक्षण देखने को मिल सकते है।

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गर्भाशय की समस्याओं की जांच (Diagnosis of Fertility Disease in Uterus in Hindi)

  • युरिन और ब्लड टेस्ट के जरिए गर्भाशय की जांच की जा सकती है।
  • सोनोग्राफी, योनि ग्राफी, MRI और CT के जरिए
  • गर्भाशय का नमूना लेकर उसे लैब में जांच के लिए भेजा जा सकता है।

गर्भाशय की समस्याओं का उपचार (Treatment of Fertility Disease in Uterus in Hindi)

  • जांच के आधार पर गर्भाशय की समस्याओं का उपचार किया जाता है। हार्मोनल और गैर हार्मोनल दवाएं के जरिए भी उपचार किया जा सकता है।
  • गर्भाशय के कैंसर की परिस्थिति में रेडिएशन थेरेपी का प्रयोग किया जाता है।
  • ब्लोकेज जैसी समस्या में सर्जरी की जा सकती है।

हालांकि उपचार की प्रक्रिया जांच पर निर्भर करती है। सहीं उपचार के लिए सही जांच होनी जरूरी है, इसलिए गर्भाशय संबंधित समस्याओं के लिए डॉ रश्मि प्रसाद से संपर्क करें, जो आपको जांच के साथ उपचार करने में सही मार्गदर्शन करेंगे।

गर्भाशय की समस्याओं के लिए सही आहार

  • टमाटर, गाजर, स्ट्रॉबेरी और विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर सब्जियों का सेवन करना चाहिए।
  • सुबह शहद और नींबू पानी का सेवन करने से शरीर के टोक्सिन को दूर करने में मदद मिलती है।
  • ग्रीन टी और पौष्टिक अनाज

और पढ़े : Pregnancy Symptoms in Hindi

निष्कर्ष

संतान प्राप्ति के लिए गर्भाशय एक महत्वपूर्ण अंग है। इसलिए रेग्युलर चेकअप कराना जरूरी है। गर्भाशय (Uterus meaning in Hindi) से संबंधित कोई भी समस्या हो तो तुरंत ही डॉक्टर से परामर्श करें और जरूरी जांच करवाएं।

अगर आप गर्भाशय से संबंधित कोई भी समस्या से गुजर रहे है तोह आज ही संपर्क करे दिव्य वात्सल्य ममता Fertility Center in Bihar में, हम आपके माता-पिता बनने के सपने को साकार करते है एवं सभी समस्या एवं प्रजनन क्षमता की जटिलताओं को समझते हैं और आवश्यकताओं के अनुसार उपचार प्रदान करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

गर्भाशय बड़ा होने पर क्या होता है?

गर्भावस्था के दौरान गर्भाशय का बड़ा होना आम बात है। बच्चे के विकास के लिए यह जरूरी भी है। पीरियड्स के दौरान भी गर्भाशय के आकार में बदलाव होता है।

कैसे पता चलेगा कि बच्चेदानी में सूजन है?

पेट में दर्द, कब्ज, गैस जैसे लक्षण बच्चेदानी के सूजन की तरफ इशारा करता है।

पीरियड के दौरान गर्भाशय कितना फैलता है?

पीरियड्स के दौरान गर्भाशय के आकार में थोड़ी वृद्धि होती है।

गर्भाशय को निकलवाने की जरूरत कब पड़ती है?

हैवी ब्लीडिंग, बार बार पीरियड्स शुरू हो जाना या गर्भाशय संबंधित गंभीर समस्याओं के चलते गर्भाशय को निकलवाने की जरूरत पड़ती है।

क्या मैं बिना गर्भाशय के गर्भवती हो सकती हूं?

गर्भधारण करने के लिए गर्भाशय का होना अति आवश्यक है। गर्भाशय में ही भृण एक बच्चे के रूप में विकसित होता है और बच्चे के जन्म तक उसका पालन पोषण भी गर्भाशय में हीं होता है।

क्या कोई महिला बिना गर्भाशय के भी पैदा हो सकती है?

हां, ऐसी कई महिलाएं होती है जो गर्भाशय के बिना पैदा होती है। इस परिस्थिति को ‘मेयर-रोकितांस्की कुस्टर-हॉसर सिंड्रोम (एमआरकेएच) कहा जाता है। इस स्थिति में योनि का विकास भी ठीक से नहीं होता है, इससे सभी प्रजनन संबंधित कार्य बाधित हो जाते है।

बच्चेदानी खराब होने के क्या लक्षण होते हैं

असामान्य रक्तस्राव
पेट में दर्द
योनि स्राव
पेशाब करने में बार-बार जाना
कब्ज
पेट में सूजन
थकान
वजन कम होना

गर्भपात के बाद गर्भाशय की सफाई

गर्भपात के बाद गर्भाशय की सफाई एक पुरानी अवधारणा है जिसे अब गलत माना जाता है। आधुनिक चिकित्सा में, गर्भाशय को स्वाभाविक रूप से साफ होने देने की सलाह दी जाती है।

गर्भाशय खराब होने के लक्षण

असामान्य रक्तस्राव
पेट में दर्द
योनि स्राव
पेशाब करने में बार-बार जाना
कब्ज
पेट में सूजन
थकान
वजन कम होना

गर्भाशय में उपचार टीबी के बाद गर्भधारण

यदि आपको टीबी हो चुका है, तो गर्भधारण करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना महत्वपूर्ण है। टीबी का इलाज करने के बाद, गर्भवती होने में कोई खतरा नहीं होता है।

गर्भाशय कैंसर के लक्षण और उपचार

गर्भाशय कैंसर के लक्षणों में असामान्य रक्तस्राव, पेट में दर्द, और योनि स्राव शामिल हैं। उपचार में सर्जरी, विकिरण चिकित्सा, और कीमोथेरेपी शामिल हो सकते हैं।

कैसे बढ़े हुए गर्भाशय कम करने के लिए

बढ़े हुए गर्भाशय को कम करने के लिए कई तरीके हैं, जैसे:
वजन कम करना
व्यायाम करना
हार्मोनल थेरेपी
सर्जरी

Dr. Rashmi Prasad

Dr. Rashmi Prasad is a renowned Gynaecologist and IVF doctor in Patna. She is working as an Associate Director (Infertility and Gynaecology) at the Diwya Vatsalya Mamta IVF Centre, Patna. Dr. Rashmi Prasad has more than 20 years of experience in the fields of obstetrics, gynaecology, infertility, and IVF treatment.

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