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High Risk Pregnancy in Hindi: हाई रिस्क प्रेग्नेंसी, लक्षण और बचाव

हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का ये मतलब है, कि गर्भवती महिला या उसके बच्चे को गर्भावस्था के दौरान स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। हाई रिस्क प्रेग्नेंसी को लेकर आपको सावधानी बरतना जरूरी है।

High risk pregnancy in Hindi हाई रिस्क प्रेग्नेंसी की स्थिति विभिन्न कारणों से उत्पन्न हो सकती है, जिनमें माता की उम्र की समस्या या स्वास्थ्य की समस्याएँ एवं गर्भावस्था के दौरान उत्पन्न जटिलताएँ भी हाई रिस्क प्रेग्नेंसी की स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं। यदि आपको किसी भी प्रकार के लक्षण महसूस होते हैं, तो तुरंत आपने डॉ से संपर्क करना चाहिए।

हाई रिस्क प्रेग्नेंसी क्या है? (What is High Risk Pregnancy in Hindi)

हाई रिस्क प्रेग्नेंसी (High Risk Pregnancy) उस गर्भावस्था को कहते हैं जिसमें गर्भवती महिला या उसके बच्चे को गर्भावस्था के दौरान स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को विशेष देखभाल और निगरानी की आवश्यकता होती है, ताकि माँ और बच्चे दोनों का स्वास्थ्य सुरक्षित रह सके।

आप हमारे (High Risk Pregnancy in Hindi) ब्लॉग को पूरा पढ़ने के बाद आप अछे तरीके से समझ जायेंगे की हाई रिस्क प्रेग्नेंसी क्या है? और उसके क्या लक्षण है एवं बचाव के बारे में बहुत ही विस्तार से बताने वाले हैं।

हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के प्रकार (Types of High Risk Pregnancy in Hindi)

हाई रिस्क प्रेग्नेंसी में विभिन्न प्रकार की समस्याएँ शामिल हैं, यहाँ हमने कुछ निम्नलिखित हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के कुछ प्रमुख समस्याएँ बताये हैं:

1. मेडिकल कंडीशंस से प्रभावित गर्भावस्था : गर्भवती महिलाओं में मधुमेह होने से बच्चे के वजन में वृद्धि हो सकता है, समय से पहले जन्म और अन्य जटिलताएँ जैसे की हाई ब्लड प्रेशर, प्री-एक्लेम्पसिया का खतरा भी बढ़ता है, जो मां और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है।

2. आनुवंशिक समस्याएँ : कुछ महिलाओं में आनुवंशिक समस्याओं के कारण हाई रिस्क प्रेग्नेंसी हो सकती है।

3. मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ : जैसे कि डिप्रेशन या एंग्जाइटी, गर्भवती महिलाओं की स्थिति को प्रभावित कर सकती हैं और उच्च जोखिम में डाल सकती हैं।

4. लाइफस्टाइल से संबंधित कारण : धूम्रपान और शराब का सेवन , भोजन की कमी जिस से भी हाई रिस्क प्रेग्नेंसी हो सकती है ।

हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के कारण (Causes of High Risk Pregnancy in Hindi)

हाई रिस्क प्रेग्नेंसी एक ऐसी स्थिति है, जिसमें गर्भवती महिलाओं को विशेष देखभाल और निगरानी की आवश्यकता होती है, ताकि माँ और बच्चे दोनों का स्वास्थ्य सुरक्षित रह सके। आइये जानते है, कुछ प्रमुख कारण को :

• महिला की उम्र : हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के लिए मुख्य रूप से महिला की उम्र जिम्मेदार हो सकती है। अगर महिला की उम्र 17 साल से कम या 35 साल से ज्यादा हो तो प्रेग्नेंसी में जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है।

• जीवनशैली : बदलती हुई जीवनशैली भी हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के लिए जिम्मेदार हो सकती है। धूम्रपान, शराब का सेवन, फिजिकल एक्टिविटी कम होना जैसे कारणों की वजह से भी हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का खतरा बढ़ सकता है।

• वजन : ज्यादा वजन की वजह से भी हाई रिस्क प्रेग्नेंसी की संभावना बढ़ जाती है। मोटापा की वजह से कई बीमारियों का खतरा रहता है।

• पानी की थैली की समस्या : कभी कभी पानी की थैली में पानी ज्यादा या तो कम हो जाना या तो थैली का फट जाना या लीक करना ये सब से भी हाई रिस्क प्रेग्नेंसी की संभावना बढ़ जाता है

• गर्भावस्था के दौरान समस्या : डायबिटीज़, भ्रूण का विकास रुक जाना, भ्रूण में जेनेटिक डिसऑर्डर, एक से अधिक भ्रूण का होना जैसी समस्या हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का कारण बन सकती है।

• स्वास्थ्य संबंधी समस्या : जब स्वास्थ्य संबंधी कुछ समस्याएं पहले से ही हो तोह, ऐसे में महिला प्रेगनेंट होती है तो उन्हें हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के चांस बढ़ जाते हैं, जैसे कि डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर, एनीमिया (खून की कमी), थैलेसीमिया जैसी बीमारियों में महिलाओं को प्रेग्नेंसी से पहले ही डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के लक्षण (Symptoms of High Risk Pregnancy in Hindi)

हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के लक्षणों की पहचान गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। यदि किसी भी लक्षण का अनुभव होता है, तो तुरंत अपने डॉ से सलाह लेना चाहिए। हाई रिस्क प्रेग्नेंसी में निम्नलिखित लक्षण देखने को आपको मिल सकते हैं।

  • योनि से सफेद स्त्राव या फिर ब्लीडिंग होना
  • बार बार पेट मे संकुचन होना
  • युरीन के दौरान जलन होना
  • लगातार सरदर्द होना
  • आराम करते वक्त भी सांस फूलना
  • भ्रूण की गतिविधि में कमी आना
  • तेज बुखार
  • त्वचा पर लाल चकत्ते होना
  • पेट में अल्सर होना
  • धूंधला दिखाई देना

हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का उपचार (Treatments for High Risk Pregnancy in Hindi)

हाई रिस्क प्रेग्नेंसी की परिस्थिति में सभी महिलाओं के इलाज का तरीका अलग अलग होता है लेकिन आमतौर पर डॉक्टर महिलाओं को निम्नलिखित तरह के इलाज का सुझाव दे सकते है।

डॉक्टर से नियमित रूप से जांच करवाना

समय समय पर अल्ट्रासाउंड और गर्भास्थ शिशु की गतिविधियों पर नजर रखना

रोज घर पर ब्लड प्रेशर और शुगर लेवल की जांच करना

डॉक्टर के सुझाव के अनुसार पौष्टिक आहार लें

प्री एक्लेमप्सिया की स्थिति में आराम करें

अगर आपको हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का खतरा हो तो गर्भावस्था पहले से लेकर गर्भावस्था के दौरान हर रोज 400 माइक्रोग्राम फोलिक एसिड लेना

आवश्यक वेक्सिनेशन करवाना

पहले से ही कोई बीमारी हो तो उसके इलाज के लिए उपयोग किए जाने वाली दवाइयों की निगरानी रखना

किसी भी दवाइयां लेने से डॉक्टर से परामर्श करें, ओवर-द-काउंटर और प्रिस्क्रिप्शन दवाएं वहीं ले जो आपको डॉक्टर ने बताई हो

हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का निदान (Diagnosis of High Risk Pregnancy in Hindi)

• फिजिकल परिक्षण : गर्भवती महिला में दिख रहे लक्षण की जांच करने के लिए डॉक्टर उसके संकेतो के बारे में पूछ सकते हैं।

• अल्ट्रासाउंड : इसमें गर्भ के अंदर की स्थिति का पता लगाया जाता है। भ्रूण के विकास या फिर किसी असमानताओं का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड किया जाता है।‌ इससे शारीरिक विकास से संबंधित जांच की जाती है।

• जेनेटिक बीमारी : जेनेटिक बीमारी की संभावना हो तब महिला के जेनेटिक के बारे में जाना जाता है। डॉक्टर गर्भवती महिला और उसके परिवार की स्वास्थ्य स्थिति से जुड़ी जानकारी पूछ सकते है।

• लेबोरेटरी परिक्षण : किसी भी तरह का संक्रमण, ब्लड प्रेशर, एनीमिया के बारे में जानने के लिए डॉक्टर ब्लड, युरीन और शरीर के टिशू के सेंपल की जांच के लिए कह सकते हैं। इस परिक्षण से विभिन्न बीमारियों का भी पता लगाया जा सकता है।

हाई रिस्क प्रेग्नेंसी से बचाव (Prevention of High Risk Pregnancy in Hindi)

हाई रिस्क प्रेग्नेंसी से बचने के लिए निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए।

• स्वास्थ्य की नियमित जांच : हाई रिस्क प्रेग्नेंसी की संभावना हो तो गर्भधारण करने से पहले और गर्भधारण करने के बाद डॉक्टर से परामर्श जरुर करें और नियमित शारीरिक जांच करवाएं। हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के लक्षण दिखने पर डॉक्टर से परामर्श जरुर करें।

• स्वस्थ वजन : मोटापे की वजह से कई शारीरिक बीमारियां हो सकती है, ऐसे में वजन को नियंत्रित करना जरूरी है।

• आराम करें : कोई भी काम करते वक्त बीच बीच में आराम करें। ज्यादा वजन न उठाए।

• धूम्रपान से बचें : हाई रिस्क प्रेग्नेंसी से बचने के लिए धूम्रपान, शराब और केफीन के सेवन से बचें।

• तनाव से दूर रहें : तनाव का सीधा प्रभाव शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है, ऐसे में खुद के स्वस्थ रखने के लिए योग और मेडिटेशन का सहारा ले और खुद को तनाव से दूर रखें।

और पढ़े : प्रेगनेंट होने का सही तरीका

निष्कर्ष

मातृत्व का अहसास सभी के लिए खास होता है, लेकिन अगर गर्भावस्था में जटिलताओं का सामना करना पड़े तो वह हर महिला के लिए मुश्किल बन सकता है। वैसे तो प्रेग्नेंसी के दौरान छोटी-बड़ी समस्याओं का सामना करना हीं पड़ता है, लेकिन कुछ समस्याओं में गर्भवती महिला और उसके गर्भस्थ शिशु पर जान का जोखिम हो सकता है, जिसे हाई रिस्क प्रेग्नेंसी (High Risk Pregnancy in Hindi) कहते हैं। ऐसे में महिला को बहुत सारी चीजों का ध्यान रखना पड़ता है। अगर आपको हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के बारे में अधिक जानकारी चाहिए, तो स्त्री विशेषज्ञ (Gynecologist/Obstetrician) से संपर्क कर सकते हैं। 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

हाई रिस्क प्रेग्नेंसी क्या होता है?

जब प्रेगनेंसी के दौरान महिला और उनके बच्चे की जान पर जोखिम भरी स्थिति उत्पन्न हो सकती है, उसे हाई रिस्क प्रेग्नेंसी कहां जाता है।

हाई रिस्क प्रेगनेंसी के बचाव क्या है ?

हाई रिस्क प्रेगनेंसी से बचने के लिए डॉक्टर से नियमित जांच करवाना जरूरी है। अगर किसी को जेनेटिक समस्याएं हो तो गर्भधारण करने से पहले ही डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

हाई रिस्क प्रेगनेंसी होने का कारण क्या है?

हाई रिस्क प्रेगनेंसी के लिए महिला की उम्र, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, मोटापा, जीवनशैली, पानी की थैली में समस्या जैसे कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं।

प्रेगनेंसी में क्या सावधानी बरतनी चाहिए?

प्रेगनेंसी के दौरान धूम्रपान, शराब, कैफीन युक्त पदार्थ से दूर रहें। डॉक्टर से नियमित जांच करवाएं और जरूरी दवाइयों का सेवन करें।

क्या हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का इलाज संभव है

हाँ, हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का इलाज संभव है। इसके लिए डॉक्टर मरीज की स्थिति के अनुसार उपचार योजना बनाते हैं, जिसमें नियमित जांच, दवाएँ, और कभी-कभी अस्पताल में भर्ती होना शामिल हो सकता है।

क्या हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का बच्चे पर प्रभाव पड़ता है?

हाँ, हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का बच्चे पर प्रभाव पड़ सकता है, जैसे कि समय से पहले जन्म, जन्म के समय वजन कम होना, या अन्य स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएँ।

हाई रिस्क प्रेग्नेंसी में कब डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए?

यदि गर्भवती महिला को लक्षणों जैसे अत्यधिक रक्तस्राव, तेज दर्द, अत्यधिक सूजन, या दृष्टि में परिवर्तन का अनुभव होता है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

Dr. Rashmi Prasad

Dr. Rashmi Prasad is a highly respected infertility and gynecology specialist with over 20 years of experience. As Director of Diwya Vatsalya Mamta IVF Centre, she is dedicated to helping couples achieve their dream of parenthood. Dr. Prasad holds an MD in Infertility and Gynecology, along with a Postgraduate Diploma in Assisted Reproductive Technology (ART) from Schleswig-Holstein, Germany. Her expertise covers infertility, IVF, pregnancy care, and male infertility, making her a trusted leader in reproductive health. Dr. Prasad has received several honors, including the Asia’s Greatest Award (2017), Icon of Bihar (2013), National Fertility Award (2022), and Mirchi Excellence Award (2024).

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