Rasoli Kya Hoti Hai? (रसौली क्या है) जानिए कारण, लक्षण, इलाज

आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में महिलाओं को कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उन्हीं में से एक आम और गंभीर समस्या है “रसौली (Rasoli)”, जिसे गर्भाशय की गांठ या फाइब्रॉइड (Fibroid) भी कहा जाता है।
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Dr. Rashmi Prasad, IVF Specialist with 25+ years of experience, और उनकी विशेषज्ञ टीम, Diwya Vatsalya Mamta IVF Centre, Patna में लगातार महिलाओं को इस समस्या से निजात दिलाने में मदद कर रही हैं।
इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे — Rasoli kya hoti hai, इसके मुख्य कारण, लक्षण, इलाज के तरीके और प्रेगनेंसी पर इसके प्रभाव।
रसौली क्या होती है? (Rasoli Meaning in Hindi)
रसौली (Rasoli), जिसे मेडिकल भाषा में फाइब्रॉयड (Fibroid) या गर्भाशय की गांठ (Uterus Cyst) कहा जाता है, महिलाओं की प्रजनन आयु में पाई जाने वाली एक आम समस्या है। यह एक तरह की गांठ (ट्यूमर) होती है जो गर्भाशय की मांसपेशियों में विकसित होती है।
आमतौर पर इसके पीछे का कारण हॉर्मोनल असंतुलन, विशेष रूप से एस्ट्रोजन हॉर्मोन होता है। जब एस्ट्रोजन का स्तर कम होता है, तो रसौली खुद-ब-खुद सिकुड़ सकती है।
रसौली के प्रकार (Types of Rasoli in Hindi)
गर्भाशय (Uterus) में रसौली कहां विकसित हो रही है, इसी आधार पर इसे अलग-अलग प्रकारों में बांटा जाता है। हर प्रकार के लक्षण और प्रभाव अलग होते हैं, जो निम्नलिखित हैं:
सबसेरोसल रसौली (Subserosal Fibroids)
यह रसौली गर्भाशय के बहार विकसित होती है। इसका आकार कभी कभी इतना बड़ा हो जाता है कि गर्भाशय भी बड़ा दिखने लगता है। की बार इस रसौली में स्टेम भी विकसित हो सकता है।
इंट्राम्यूरल रसौली (Intramural Fibroids)
यह रसौली गर्भाशय की दीवार पर विकसित होती है। रसौली का यह सबसे आम प्रकार हैं। इसकी वजह से अक्सर पीरियड्स में भारी रक्तस्राव और श्रोणी दर्द देखा जाता है।
सबम्यूकोसल रसौली (Submucosal Fibroids)
यह रसौली गर्भाशय की भीतरी परत एंडोमेट्रियम (Endometrium) में बनती है, और अपेक्षाकृत कम मामलों में देखने को मिलती है।
सर्वाइकल रसौली (Cervical Fibroids)
यह गर्भाशय ग्रीवा पर विकसित होती है। अन्य रसौली की तुलना में यह काफी कम देखी जाती है, लेकिन अगर विकसित हो जाए तो पेशाब और मासिक धर्म दोनों में समस्या पैदा कर सकती है।
रसौली के कारण (Causes of Rasoli in Hindi)
आज के समय में महिलाओं की बदलती जीवनशैली और शरीर में हो रहे हार्मोनल बदलावों की वजह से रसौली (Rasoli) विकसित होने की संभावना बढ़ गई है, हालांकि रसौली का कोई एक निश्चित कारण तय नहीं है, फिर भी कुछ मुख्य कारक ऐसे हैं जो इसके बनने में भूमिका निभाते हैं।
Diwya Vatsalya Mamta IVF Centre की विशेषज्ञ टीम के अनुसार, ये प्रमुख कारण हो सकते हैं:
- हार्मोनल असंतुलन (Hormonal Imbalance): पीरियड्स के दौरान महिला के शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का उत्पादन होता है। इन हॉर्मोन की वजह से रसौली विकसित हो सकती है।
- पारिवारिक इतिहास (Genetic Factor): अगर किसी महिला के परिवार में रसौली का इतिहास रहा हो तो उनकी बेटी को भी होने की संभावना रहती है।
- उम्र (Age Factor): 30 वर्ष की उम्र के बाद महिलाओं में फाइब्रॉइड (Fibroid) बनने की संभावना बढ़ जाती है। यह उम्र हार्मोनल उतार-चढ़ाव की सबसे आम अवस्था होती है।
- मोटापा (Obesity): रसौली का एक और कारण मोटापा भी है। मोटापा हॉर्मोन असंतुलन को बढ़ावा देता है जिसकी वजह से रसौली विकसित हो सकती है।
- तनाव और लाइफस्टाइल (Lifestyle Imbalance): बदलती लाइफस्टाइल के चलते थकान और तनाव की समस्या बढ़ गई है, ऐसे में अधिक तनाव और थकान भी रसौली का कारण बन सकती है।
- गर्भाशय संक्रमण (Uterine Infection): गर्भाशय में संक्रमण होने पर रसौली विकसित हो सकती है।
रसौली के लक्षण (Symptoms of Rasoli in Hindi)
अधिकांश महिलाओं में रसौली (Rasoli Symptoms) के कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, हालांकि रसौली के आकार, प्रकार और स्थान के मुताबिक लक्षण देखने को मिल सकते हैं:
आमतौर पर देखे जाने वाले लक्षण:
- पीरियड्स के दौरान असामान्य या अधिक ब्लीडिंग (Heavy Menstrual Bleeding)
- पीरियड्स में असहनीय दर्द (Menstrual Cramps)
- समय से अधिक दिन तक मासिक धर्म आना (Prolonged Periods)
- श्रोणी (Pelvic) क्षेत्र में दर्द या दबाव महसूस होना
- बार-बार पेशाब आना या पेशाब करने में कठिनाई (Frequent Urination)
- पेट का बाहर निकलना या सूजन (Abdominal Bloating)
- पेट या पीठ के निचले हिस्से में लगातार दर्द
- सेक्स के दौरान दर्द (Pain During Intercourse)
- कब्ज़ या मल त्याग में परेशानी
रसौली के जोखिम कारक (Risk Factors for Rasoli in Hindi)
हर महिला में रसौली (Rasoli) विकसित होने की संभावना अलग-अलग होती है, लेकिन कुछ ऐसे प्रमुख जोखिम कारक (Risk Factors) होते हैं जो इस स्थिति के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं। अगर इन जोखिमों को समय रहते पहचाना जाए, तो रसौली से बचाव और समय पर इलाज संभव है।
मोटापा (Obesity)
शरीर में ज्यादा चर्बी होने से हार्मोन का संतुलन बिगड़ता है, जिससे रसौली बनने की संभावना बढ़ती है।
कम उम्र में पीरियड्स शुरू होना (Early Menstruation)
अगर पीरियड्स बहुत जल्दी शुरू हो जाएं, तो हार्मोन लंबे समय तक एक्टिव रहते हैं। इससे फाइब्रॉइड का खतरा बढ़ता है।
पारिवारिक इतिहास (Family History)
अगर मां, बहन या किसी नज़दीकी रिश्तेदार को रसौली रही है, तो यह समस्या आगे भी हो सकती है।
लेट मेनोपॉज (Late Menopause)
अगर मेनोपॉज (Menopause) देर से होता है, तो शरीर में एस्ट्रोजन ज्यादा समय तक बना रहता है, जिससे रसौली बढ़ सकती है।
रसौली का इलाज (Treatment of Rasoli)
रसौली (Rasoli) का कोई उपचार नहीं है, लेकिन अगर दर्द, हैवी ब्लीडिंग या गर्भधारण में दिक्कत हो रही है, फिर राहत के लिए डॉक्टर निम्नलिखित इलाज (How to get rid of Fibroids) के लिए कह सकते हैं:
प्रतीक्षा और निगरानी
अगर रसौली से कोई लक्षण नहीं हो रहे हैं, तो डॉक्टर केवल रेगुलर अल्ट्रासाउंड और जांच की सलाह देते हैं। कई बार मेनोपॉज के बाद फाइब्रॉइड अपने आप सिकुड़ जाते हैं।
दवाइयों से इलाज
अगर हैवी ब्लीडिंग या श्रोणि में दर्द जैसे लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर गोनाडोट्रोपिन-रिलीजिंग हॉर्मोन एगोनिस्ट, प्रोजेस्टिन-रिलीजिंग इंट्रायूटेरिन डिवाइस, ट्रैनेक्सैमिक एसिड, गर्भनिरोधक गोलियां, इबुप्रोफेन जैसी दवाइयों का सुझाव दे सकते हैं, लेकिन दवाइयों का सेवन से पहले डॉ से जरुर संपर्क करे।
सर्जरी द्वारा उपचार
अगर दवाइ से भी लक्षण में राहत न मिले तब डॉक्टर सर्जरी के जरिए रसौली को निकाला जाता है और कुछ मामलों में डॉक्टर लेप्रोस्कोपिक या रोबोटिक मायोमेक्टॉमी सर्जरी के जरिए गर्भाशय को हीं हटा देने का सुझाव देते हैं।
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रसौली और प्रेग्नेंसी (Rasoli and Pregnancy)
प्रेगनेंसी के दौरान महिला के शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन नामक हॉर्मोन का उत्पादन बढ़ जाता है। जो रसौली के विकास को उत्तेजित करने में मुख्य भूमिका निभा सकते हैं। रसौली के कारण अधिकांश महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान किसी भी दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ता। हालांकि कुछ महिलाओं को दर्द का सामना करना पड़ सकता है।
कुछ महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान कई जटिलताओं (Complications in Pregnancy due to Fibroids) का सामना करना पड़ सकता है, जैसे कि भ्रूण का विकास रूक जाना, प्लेसेंटा अब्रप्शन (Placental Abruption), प्री मैच्योर डिलीवरी, सिजेरियन डिलिवरी, मिसकैरिज।
निष्कर्ष
Rasoli kya hoti hai — यह एक सामान्य लेकिन गंभीर महिला स्वास्थ्य समस्या है, जिसे गर्भाशय में बनने वाली गांठ या Uterine Fibroid कहा जाता है। यह हार्मोनल असंतुलन की वजह से होता है और कई बार प्रेगनेंसी में रुकावट डाल सकता है।
समय पर जांच और इलाज से इसे कंट्रोल किया जा सकता है। ज़्यादातर मामलों में यह मेनोपॉज के बाद अपने आप सिकुड़ जाती है, लेकिन यदि लक्षण तेज़ हों तो डॉक्टर से सलाह लेना ज़रूरी है।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Rasoli kya hoti hai रसौली क्या होती है?
रसौली गांठ होती है, जो गर्भाशय की मांसपेशियों में बनती है। रसौली के लिए एस्ट्रोजन हॉर्मोन जिम्मेदार होता है, इसके कम होने पर रसौली अपने आप सिकुड़ने लगती है।
क्या रसौली कैंसर बन सकती है?
रसौली बिन कैंसरयुक्त गांठ होती है। हालांकि कुछ मामलों में यह गांठ कैंसर में परिवर्तित हो सकती है, लेकिन ऐसी संभावना बहुत कम होती है।
क्या रसौली का इलाज संभव है?
रसौली का कोई सटीक इलाज नहीं है लेकिन इसके लक्षण को कम करने के लिए डॉक्टर दवाइयां या फिर सर्जरी का सुझाव दे सकते हैं।
क्या रसौली दोबारा हो सकती है?
हां, रसौली दोबारा भी विकसित हो सकती है। रसौली विकसित होने की संभावना महिला के मेनोपॉज शुरू होने तक रहती है।
रसौली और फाइब्रॉइड में क्या फर्क है?
रसौली को अंग्रेजी में फाइब्रॉयड कहा जाता है ऐसे में रसौली और फाइब्रॉयड दोनों एक हीं हैं।
रसौली का घरेलू इलाज क्या है?
जीवनशैली में परिवर्तन कर रसौली के लक्षण को कम किया जा सकता है, जैसे की तनाव और थकान से दूर रहें, धुम्रपान और शराब से बचें, नियमित योग और कसरत करने से रसौली में राहत मिलती है।
रसौली किन उम्र की महिलाओं में ज्यादा होती है?
रसौली 30 वर्ष या उससे अधिक आयु की महिलाओं में हो सकती है। महिला के प्रजनन आयु में रसौली होने की संभावना अधिक रहती है।
रसौली से प्रेग्नेंसी में क्या समस्या आ सकती है?
रसौली के कारण प्रेगनेंसी में कई जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है, जैसे की भ्रृण का विकास रूक जाना, प्री मैच्योर डिलीवरी, सिजेरियन डिलीवरी या मिसकैरिज जैसी समस्याएं हो सकती है। कुछ मामलों में गर्भधारण करने में भी समस्या हो सकती है।