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Polyhydramnios in Hindi: पॉलीहाइड्रेमनिओस क्या है? लक्षण और इलाज

पॉलीहाइड्रेमनिओस (Polyhydramnios in Hindi) एक ऐसी स्थिति है, जिसमें गर्भावस्था के दौरान माँ गर्भ में मौजूद एमनियोटिक द्रव की मात्रा सामान्य से अधिक हो जाती है। यह बढ़ी हुई मात्रा न केवल गर्भस्थ शिशु के विकास को प्रभावित कर सकती है, बल्कि मां को भी सांस लेने में तकलीफ, पेट में भारीपन और अन्य जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए पॉलीहाइड्रेमनिओस को समझना और समय पर इसका निदान व इलाज कराना बहुत जरूरी है।

Dr. Rashmi Prasad पटना की जानी-मानी महिला रोग विशेषज्ञ हैं और 20 साल से ज्यादा का अनुभव रखती हैं। वह Diwya Vatsalya Mamta IVF की संस्थापक हैं, जो महिलाओं की सेहत से जुड़ी समस्याओं का इलाज करता है। इस ब्लॉग में हम पॉलीहाइड्रेमनिओस से जुड़ी हर ज़रूरी जानकारी देंगे, ताकि आप सही फैसला ले सकें।

पॉलीहाइड्रेमनिओस क्या है? (Polyhydramnios Meaning in Hindi)

पॉलीहाइड्रेमनिओस एक ऐसी स्थिति है जिसमें माँ के गर्भ में बच्चे के चारों ओर मौजूद एमनियोटिक द्रव (गर्भ जल) की मात्रा सामान्य से अधिक ज्यादा हो जाती है। यह पानी बच्चे की सुरक्षा और विकास के लिए जरूरी भी होता है, लेकिन जब यह ज्यादा हो जाता है तो माँ और बच्चे दोनों को भी समस्या हो सकती है।

Polyhydramnios Meaning in Hindi

इस वजह से माँ को सांस लेने में दिक्कत, पेट भारीपन और प्रसव में जटिलताएं हो सकती हैं। इस स्थिति का पता अल्ट्रासाउंड से चलता है और सही समय पर इलाज से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।

पॉलीहाइड्रेमनिओस के प्रकार (Types of Polyhydramnios in Hindi)

पॉलीहाइड्रेमनिओस (Polyhydramnios in Hindi) एक ऐसी गर्भावस्था संबंधी स्थिति है जिसमें गर्भ में मौजूद एमनियोटिक द्रव (गर्भ जल) की मात्रा सामान्य से अधिक हो जाती है। इस स्थिति के दो मुख्य प्रकार होते हैं:

1. तीव्र पॉलीहाइड्रेमनिओस (Acute Polyhydramnios): आमतौर पर गर्भावस्था के दूसरे तिमाही में यह समस्या होती है।मां को अचानक पेट भारी लगना और सांस लेने में कठिनाई महसूस हो सकती है।

2. क्रोनिक पॉलीहाइड्रेमनिओस (Chronic Polyhydramnios): यह स्थिति धीरे-धीरे और लंबे समय में विकसित होती है। ज्यादातर मामलों में इसे आसानी से संभाला जा सकता है।

नोट: सही प्रकार की पॉलीहाइड्रेमनिओस आपकी स्वास्थ्य स्थिति और जरूरतों के आधार पर डॉक्टर द्वारा तय की जाएगी। बेहतर मार्गदर्शन के लिए किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह लें। आप  Diwya Vatsalya Mamta IVF & Gynecologist Hospital in Patna में डॉ रश्मि प्रसाद से भी में परामर्श कर सकते हैं।

एमनियोटिक द्रव कैसे बनता है और कहां से आता है? (Formation and Source of Amniotic Fluid)

एमनियोटिक द्रव गर्भावस्था के दौरान गर्भ में शिशु के चारों ओर स्थित तरल पदार्थ है। यह द्रव शिशु के विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आइए जानते हैं कि यह द्रव कैसे बनता है और कहां से आता है:

* कैसे बनता है

गर्भधारण के लगभग 12 दिन बाद, यह द्रव गर्भाशय की कोशिकाओं और गर्भनाल द्वारा बनने लगता है।

* स्रोत

जैसे-जैसे शिशु बढ़ता है, वह मूत्र बनाता है, जो इस द्रव का बड़ा हिस्सा होता है। गर्भाशय की झिल्ली भी थोड़ा द्रव बनाती है।

लेकिन जब इसकी मात्रा सामान्य से अधिक (Polyhydramnios in Hindi) हो जाती है, तो यह माँ और शिशु दोनों के लिए खतरे की घंटी हो सकती है।

पॉलीहाइड्रेमनिओस के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Polyhydramnios in Hindi)

पॉलीहाइड्रेमनिओस एक ऐसी स्थिति है जिसमें गर्भ में एमनियोटिक द्रव की मात्रा सामान्य से अधिक होती है।आइए जानते हैं इसके मुख्य लक्षण:

  • पेट में गंभीर दर्द होना, पेट में जलन होना
  • पेट में जकड़न या ऐंठन
  • सांस लेने में दिक्कत
  • भ्रूण की गतिविधियों का धीमा होना
  • बार बार युरीन आना
  • अत्यधिक और तेजी से वजन बढ़ना
  • पेट का आकार बढ़ना
  • पैरों में सूजन आना

इन लक्षणों में से कोई भी अनुभव होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। पॉलीहाइड्रेमनिओस (Polyhydramnios in Hindi) का समय रहते इलाज जरूरी है।

पॉलीहाइड्रेमनिओस के कारण क्या हैं? (Causes of Polyhydramnios in Hindi)

पॉलीहाइड्रेमनिओस एक ऐसी स्थिति है जिसमें गर्भ में एमनियोटिक द्रव की मात्रा सामान्य से अधिक होती है। इसके कई संभावित कारण हो सकते हैं, आइए जानते हैं कुछ मुख्य कारण:

  • गर्भवती होने से पहले या बाद में डायबिटीज़ की वजह से हाई ब्लड शुगर होना
  • जेनेटिक विकार की वजह से भ्रूण का एमनियोटिक द्रव निगलना मुश्किल हो
  • मां और गर्भस्थ बच्चे दोनों का Rh कारक भिन्न होना
  • डाउन सिंड्रोम और एडवर्ड्स सिंड्रोम जैसी क्रोमोसोमल असमानताएं
  • भ्रूण में संक्रमण हो
  • भ्रूण में रेड ब्लड सेल्स की कमी
  • एक से ज्यादा गर्भधारण (जुड़वां बच्चे)
  • माँ और बच्चे के बीच Rh incompatibility

पॉलीहाइड्रेमनिओस के जोखिम क्या हैं? (Risks of Polyhydramnios in Hindi)

गर्भाशय में अधिक एमनियोटिक द्रव बढ़ने की वजह से आसपास के अंगों पर दबाव बनता है और इसकी से गर्भावस्था संबंधी कई जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है।

  • प्रीमेच्योर डिलीवरी
  • गर्भस्थ शिशु के विकास में रूकावट
  • मृत बच्चे का जन्म होना
  • गर्भनाल का आगे खिसकना
  • भ्रूण ब्रीच पुजिशन में आना
  • पोस्टपार्टम हेमरेज
  • डिलीवरी के दौरान अधिक रक्तस्राव (Postpartum Hemorrhage)

पॉलीहाइड्रेमनिओस का निदान कैसे करें? (How to Diagnose Polyhydramnios in Hindi)

पॉलीहाइड्रेमनिओस का निदान गर्भावस्था के दौरान सही समय पर करना बहुत महत्वपूर्ण है। यदि आपको इस स्थिति के लक्षण महसूस होते हैं, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

1. डॉ से कंसल्ट : डॉक्टर सबसे पहले मां के संभावित लक्षणों की जांच करते हैं, जैसे कि पेट में भारीपन, सांस लेने में कठिनाई, या गर्भ में शिशु की गतिविधियों में बदलाव।

2. अल्ट्रासाउंड (Ultrasound): यह सबसे आम और प्रभावी तरीका है पॉलीहाइड्रेमनिओस के निदान के लिए।

3. एमनियोटिक फ्लूइड इंडेक्स (AFI): अल्ट्रासाउंड के दौरान, डॉक्टर एमनियोटिक फ्लूइड इंडेक्स (AFI) की माप लेते हैं।

4. डॉपलर सोनोग्राफी: कुछ मामलों में, डॉक्टर शिशु के रक्त प्रवाह की जांच करने के लिए डॉपलर सोनोग्राफी का उपयोग कर सकते हैं।

पॉलीहाइड्रेमनिओस का उपचार कैसे करें? (How to Treat Polyhydramnios in Hindi)

हल्के पॉलीहाइड्रेमनिओस की स्थिति में इलाज की आवश्यकता नहीं होती है लेकिन गंभीर स्थिति में डॉक्टर आपको निम्नलिखित इलाज का सुझाव दे सकते है।

• एमनियोरिडक्शन : गर्भाशय में मौजूद अधिक एमनियोटिक द्रव को बहार निकालने के लिए इस प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है।

• दवा : संकुचन को कम करने और एमनियोटिक द्रव की मात्रा को कम करने के लिए इंडोमेथेसिन (इंडोसिन) नामक दवा दी जा सकती है।

• डिलीवरी के लिए कहा जा सकता है : अगर हल्के या मध्यम पॉलीहाइड्रेमनिओस हो तो डॉक्टर आपको 39 या 40 सप्ताह में डिलीवरी की सिफारिश की जा सकती है।

पॉलीहाइड्रेमनिओस के जोखिम को कैसे कम करें? (How to Reduce the Risks of Polyhydramnios in Hindi)

पॉलीहाइड्रेमनिओस, जो गर्भ में एमनियोटिक द्रव की अधिकता को दर्शाता है, हालांकि इसके जोखिम को कम करने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं। यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं:

  • धूम्रपान और एल्कोहल से बचें
  • फल, सब्जियां, कम वसा वाले डेयरी उत्पाद का अधिकतम सेवन करें
  • फोलिक एसिड का सेवन करें
  • ब्लड शुगर को नियंत्रित करें

और पढ़े : बच्चेदानी में सूजन लक्षण और उपचार

निष्कर्ष

इस ब्लॉग में हमने Polyhydramnios in Hindi के तहत पॉलीहाइड्रेमनिओस से जुड़ी तमाम महत्वपूर्ण जानकारियाँ साझा की हैं। । आपने जाना कि पॉलीहाइड्रेमनिओस क्या होता है, इसके कारण एवं लक्षण और साथ ही साथ की कब डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए घरेलू उपाय कौन से कारगर हैं, सही आहार और जीवनशैली का क्या महत्व है

अगर आपको पॉलीहाइड्रेमनिओस से जुड़ी किसी भी तरह की समस्या है या आप सही सलाह लेना चाहती हैं, तो Diwya Vatsalya Mamta, IVF Center in Patna में Dr. Rashmi Prasad से संपर्क करें, जो कि पटना की जानी-मानी स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

पॉलीहाइड्रेमिनोस के लक्षण क्या है ?

पॉलीहाइड्रेमनिओस के लक्षण अलग अलग हो सकते हैं लेकिन आमतौर पर पेट में गंभीर दर्द होना, पेट में जलन होना, पेट में जकड़न या ऐंठन, सांस लेने में दिक्कत, भ्रूण की गतिविधियों का धीमा होना, बार बार युरीन आना, अत्यधिक और तेजी से वजन बढ़ना, पेट का आकार बढ़ना, पैरों में सूजन आना पॉलीहाइड्रेमनिओस के संकेत हो सकते हैं।

पॉलीहाइड्रमनिओस का इलाज क्या है?

गर्भाशय में मौजूद अधिक एमनियोटिक द्रव को बहार निकालने के लिए एमनियोरिडक्शन प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है, या फिर इंडोमेथेसिन (इंडोसिन) नामक दवा दी जा सकती है और अगर हल्के या मध्यम पॉलीहाइड्रेमनिओस हो तो डॉक्टर आपको 39 या 40 सप्ताह में डिलीवरी की सिफारिश की जा सकती है।

एमनियोटिक द्रव की नॉर्मल वैल्यू कितनी होती है?

एमनियोटिक द्रव की नॉर्मल वैल्यू 500 से 1000 मिली के बीच होनी चाहिए, अगर इससे ज्यादा वैल्यू बढ़ जाएं तो वह समस्या का विषय बन सकता है। ऐसी परिस्थिति में तुरंत हीं डॉक्टर से परामर्श करना आवश्यक है।

क्या मैं पॉलीहाइड्रेमनिओस को रोक सकती हूँ?

अगर आपको गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज़ का निदान किया गया है या गर्भावस्था से पहले आपको डायबिटीज़ हो तो आप अपने ब्लड शुगर को नियंत्रित करने की सावधानी बरत सकते हैं लेकिन पॉलीहाइड्रेमनिओस को रोकना संभव नहीं है।

यदि बच्चा जन्म के दौरान एमनियोटिक द्रव पीता है तो क्या होता है?

जब बच्चा एमनियोटिक द्रव निगलता है तो मेकोनियम बनता है। आंतो में गुजरते हीं एमनियोटिक द्रव का पानी अवशोषित हो जाता है

पॉलीहाइड्रेमनिओस का पता कब चलता है?

पॉलीहाइड्रेमनिओस का निदान अल्ट्रासाउंड के जरिए किया जाता है। इसके अलावा ग्लूकोज चैलेंज टेस्ट, एमनियोसेंटेसिस, बायोफिजिकल प्रोफाइल, नॉनस्ट्रेस टेस्ट के जरिए पॉलीहाइड्रेमनिओस का पता लगाया जा सकता है।

पॉलीहाइड्रेमनिओस की वजह से किस तरह की जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है?

अधिक पॉलीहाइड्रेमनिओस की स्थिति में प्रीमेच्योर डिलीवरी, गर्भस्थ शिशु के विकास में रूकावट, मृत बच्चे का जन्म होना, गर्भनाल का आगे खिसकना, भ्रूण ब्रीच पुजिशन में आना, पोस्टपार्टम हेमरेज जैसी जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है।

Dr. Rashmi Prasad

Dr. Rashmi Prasad is a highly respected infertility and gynecology specialist with over 20 years of experience. As Director of Diwya Vatsalya Mamta IVF Centre, she is dedicated to helping couples achieve their dream of parenthood. Dr. Prasad holds an MD in Infertility and Gynecology, along with a Postgraduate Diploma in Assisted Reproductive Technology (ART) from Schleswig-Holstein, Germany. Her expertise covers infertility, IVF, pregnancy care, and male infertility, making her a trusted leader in reproductive health. Dr. Prasad has received several honors, including the Asia’s Greatest Award (2017), Icon of Bihar (2013), National Fertility Award (2022), and Mirchi Excellence Award (2024).

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