Sperm Motility Meaning in Hindi: स्पर्म मोटिलिटी क्या होता है?

पुरुष प्रजनन क्षमता (Male Fertility) का एक अहम हिस्सा है स्पर्म मोटिलिटी (Sperm Motility) — यानी शुक्राणुओं की गतिशीलता या आगे बढ़ने की क्षमता। जब शुक्राणु स्वस्थ होते हैं और सही गति से अंडाणु तक पहुंच पाते हैं, तो गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है।
Diwya Vatsalya Mamta Fertility Centre, Patna की डायरेक्टर डॉ. रश्मि प्रसाद, जो 25+ वर्षों से IVF और Infertility उपचार का अनुभव रखती हैं, बताती हैं कि कम स्पर्म मोटिलिटी (Low Sperm Motility) पुरुष बांझपन का एक प्रमुख कारण हो सकता है।
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इस ब्लॉग “Sperm Motility Meaning in Hindi” में हम विस्तार से समझेंगे — स्पर्म मोटिलिटी क्या होती है, कितनी होनी चाहिए, कारण, जांच, उपचार और इसे बढ़ाने के प्राकृतिक उपाय।
स्पर्म मोटिलिटी क्या होती है? (Sperm Motility Meaning in Hindi)
स्पर्म मोटिलिटी का मतलब है शुक्राणुओं की तैरने या आगे बढ़ने की क्षमता। यह इस बात का माप है कि शुक्राणु महिला के प्रजनन तंत्र में अंडाणु तक कितनी तेजी और दक्षता से पहुंच सकते हैं।
- अच्छी स्पर्म मोटिलिटी = गर्भधारण की अधिक संभावना
- कम स्पर्म मोटिलिटी = अंडाणु तक पहुंचने में कठिनाई और बांझपन का खतरा
स्पर्म मोटिलिटी क्यों महत्वपूर्ण है? (Why is Sperm Motility Important)
- गर्भधारण के लिए जरूरी – शुक्राणुओं का अंडाणु तक पहुंचना और उसे निषेचित करना
- प्रजनन क्षमता का संकेतक – अच्छी मोटिलिटी, स्वस्थ प्रजनन का संकेत है
- सफल IVF/ICSI परिणामों के लिए जरूरी – Assisted Reproductive Techniques में भी अच्छी मोटिलिटी बेहतर सफलता देती है
स्पर्म मोटिलिटी के प्रकार (Types of Sperm Motility)
आमतौर पर स्पर्म मोटिलिटी (Sperm Motility) के दो प्रकार होते हैं।
- प्रोग्रेसिव मोटिलिटी – स्पर्म सीधी दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ते हैं, गर्भधारण के लिए सबसे महत्वपूर्ण।
- नॉन-प्रोग्रेसिव मोटिलिटी – स्पर्म धीमी गति से चलते हैं या एक जगह घूमते रहते हैं, अंडाणु तक पहुंचना मुश्किल होता है।
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स्पर्म मोटिलिटी कितना होना चाहिए? (Normal Sperm Motility Level)
WHO के अनुसार:
- कुल मोटाइल स्पर्म ≥ 40%
- प्रोग्रेसिव मोटिल स्पर्म ≥ 32%
40% से कम मोटिलिटी को Asthenozoospermia कहा जाता है, जो पुरुष बांझपन का कारण बन सकता है।
लो स्पर्म मोटिलिटी के कारण (Causes of Low Sperm Motility in Hindi)
- उम्र – 40 के बाद मोटिलिटी में गिरावट
- हार्मोनल असंतुलन – टेस्टोस्टेरोन की कमी
- धूम्रपान और शराब – शुक्राणु की गुणवत्ता खराब करना
- तनाव और खराब आहार – विटामिन की कमी
- आनुवंशिक कारण – जेनेटिक डिसऑर्डर
- मोटापा और उच्च तापमान – स्पर्म स्वास्थ्य पर असर
स्पर्म मोटिलिटी को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Affecting Sperm Motility)
- आहार (Diet) – विटामिन C, E, जिंक, ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर भोजन
- शारीरिक गतिविधि – नियमित व्यायाम से रक्त संचार बेहतर होता है
- धूम्रपान/शराब – मोटिलिटी को कम करते हैं
- तनाव – हार्मोन असंतुलन पैदा करता है
स्पर्म मोटिलिटी की जांच (How to Test Sperm Motility)
- Semen Analysis – लैब में स्पर्म काउंट, आकार, और मोटिलिटी की जांच
- Home Test Kits – शुरुआती जानकारी के लिए घर पर उपयोग
लो स्पर्म मोटिलिटी के समाधान (How to Improve Sperm Motility)
- धूम्रपान और शराब से बचें
- तनाव कम करें और पर्याप्त नींद लें
- टाइट कपड़े न पहनें
- हेल्दी डाइट अपनाएं
- डॉक्टर की सलाह से सप्लीमेंट लें
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स्पर्म मोटिलिटी बढ़ाने वाले फूड्स (Foods to Increase Sperm Motility)
- Pumpkin Seeds – जिंक से भरपूर
- Dark Chocolate – L-Arginine और एंटीऑक्सीडेंट्स
- पालक – फोलिक एसिड का अच्छा स्रोत
- अखरोट – ओमेगा-3 और विटामिन E
- खट्टे फल – विटामिन C
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निष्कर्ष
पुरुष बांझपन के कई कारणों में से एक है Low Sperm Motility। सही समय पर जांच, स्वस्थ जीवनशैली और विशेषज्ञ इलाज से इसे बेहतर किया जा सकता है।
Diwya Vatsalya Mamta Fertility Centre, Patna में डॉ. रश्मि प्रसाद और उनकी टीम ने हजारों जोड़ों की IVF और Infertility समस्याओं का सफल समाधान किया है। यदि आपको गर्भधारण में कठिनाई हो रही है, तो देर न करें — आज ही कॉल करें – +91-9771038137 या Google Maps के जरिये हमारे सेंटर जरुर विजिट करे
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs on Sperm Motility in Hindi)
स्पर्म की मोटिलिटी कितना होना चाहिए?
WHO के अनुसार, कम से कम 40% शुक्राणु गतिशील होने चाहिए।
स्पर्म मोटिलिटी कैसे बढ़ाएं?
हेल्दी डाइट, नियमित व्यायाम, तनाव कम करना और धूम्रपान/शराब से परहेज करें।
क्या उम्र के साथ स्पर्म मोटिलिटी कम होती है?
हां, खासकर 40 वर्ष के बाद।
कौन से फल स्पर्म मोटिलिटी बढ़ाते हैं?
संतरा, अंगूर, नींबू जैसे विटामिन C से भरपूर फल।
Low Sperm Motility का इलाज संभव है?
हां, लाइफस्टाइल बदलाव, दवाओं और जरूरत पड़ने पर IVF/ICSI से समाधान संभव है।