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High Risk Pregnancy in Hindi: हाई रिस्क प्रेग्नेंसी, लक्षण और बचाव

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प्रेग्नेंसी हर एक महिला के लिए एक बहुत ही यादगार पल होता है, जिसमें महिलाओं को ढेर सारी खुशियों के साथ साथ परेशानियों का सामना भी करना पड़ सकता है। अगर हाई रिस्क प्रेग्नेंसी (High risk pregnancy in Hindi) हो तो वह मां और गर्भस्थ शिशु दोनों के लिए हीं जोखिम परिस्थिति का निर्माण हो सकता है। हाई रिस्क प्रेग्नेंसी में मां और उनके गर्भस्थ शिशु में स्वास्थ्य संबंधी जोखिम होने की संभावना बढ़ जाती है। कभी कभी महिला की उम्र भी हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के लिए जिम्मेदार हो सकती है। ऐसे में डॉक्टर से परामर्श करना आवश्यक हो जाता है।

हाई रिस्क प्रेग्नेंसी क्या हैं? (What is High risk pregnancy in Hindi)

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गर्भावस्था के दौरान हर महिलाएं छोटी बड़ी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से गुजरती है लेकिन कभी कभी जटिल स्वास्थ्य समस्याएं मां और बच्चे दोनों के लिए घातक हो सकती है, जिसे हाई रिस्क प्रेग्नेंसी कहा जाता है। पहली बार गर्भधारण करने वाली महिलाओं में यह जोखिम ज्यादा रहता है। आम तौर पर 20 से 30% गर्भवती महिलाओं में हाई रिस्क प्रेग्नेंसी की संभावना रहती है। 17 साल से कम और 35 साल से ज्यादा उम्र में गर्भधारण करने वाली महिलाओं में हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का जोखिम ज्यादा रहता है। 

हाई रिस्क प्रेग्नेंसी में महिला को लगातार मोनिटरिंग की जरूरत रहती है। एनीमिया, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़, मोटापा जैसी समस्याएं हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का कारण बन सकती है। हाई रिस्क प्रेग्नेंसी से बचने के लिए समय-समय पर जांच करवाना जरूरी है। हाई रिस्क प्रेग्नेंसी वाली महिलाओं को सिर्फ प्रेग्नेंसी के दौरान हीं नहीं बल्कि प्रेग्नेंसी के बाद भी अतिरिक्त देखभाल की जरूरत रहती है।

हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के लक्षण (Symptoms of High risk pregnancy in Hindi)

हाई रिस्क प्रेग्नेंसी में निम्नलिखित लक्षण देखने को मिल सकते हैं।

  • योनि से सफेद स्त्राव या फिर ब्लीडिंग होना
  • बार बार पेट मे संकुचन होना
  • युरीन के दौरान जलन होना
  • लगातार सरदर्द होना
  • आराम करते वक्त भी सांस फूलना
  • भ्रूण की गतिविधि में कमी आना
  • तेज बुखार
  • त्वचा पर लाल चकत्ते होना
  • पेट में अल्सर होना
  • धूंधला दिखाई देना

और पढ़े : प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण?

हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के कारण (Causes of High risk pregnancy in Hindi)

हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के लिए की कारण जिम्मेदार हो सकते हैं लेकिन आम तौर पर निम्नलिखित कारण ज्यादा जिम्मेदार होते हैं।

• महिला की उम्र : हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के लिए मुख्य रूप से महिला की उम्र जिम्मेदार हो सकती है। अगर सगर्भा महिला की उम्र 17 साल से कम या 35 साल से ज्यादा हो तो प्रेग्नेंसी में जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है।

• जीवनशैली : बदलती हुई जीवनशैली भी हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के लिए जिम्मेदार हो सकती है। धूम्रपान, शराब का सेवन, फिजिकल एक्टिविटी कम होना जैसे कारणों की वजह से भी हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का खतरा बढ़ सकता है।

• वजन : ज्यादा वजन की वजह से भी हाई रिस्क प्रेग्नेंसी की संभावना बढ़ जाती है। मोटापा की वजह से कई बीमारियों का खतरा रहता है।

• पानी की थैली की समस्या : कभी कभी पानी की थैली में पानी ज्यादा या तो कम हो जाना या फिर तो थैली का फट जाना या फिर लीक करना जैसी समस्याएं प्रेग्नेंसी को हाई रिस्क पर डाल देती है।

• गर्भावस्था के दौरान समस्या : जेस्टेशनल डायबिटीज़, भ्रूण का विकास रुक जाना, भ्रूण में जेनेटिक डिसऑर्डर, एक से अधिक भ्रूण का होना, प्री-एक्लेमप्सिया जैसी समस्या हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का कारण बन सकती है।

• स्वास्थ्य संबंधी समस्या : स्वास्थ्य संबंधी कुछ समस्याएं पहले से ही क्रोनिकल रहती है, ऐसे में महिला प्रेगनेंट होती है तो उन्हें हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के चांस बढ़ जाते हैं, जैसे कि डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर, एनीमिया (खून की कमी), थैलेसीमिया जैसी बीमारियों में महिलाओं को प्रेग्नेंसी से पहले ही डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का इलाज (Treatments for High Risk Pregnancy in Hindi)

हाई रिस्क प्रेग्नेंसी की परिस्थिति में सभी महिलाओं के इलाज का तरीका अलग अलग होता है लेकिन आमतौर पर डॉक्टर सगर्भा महिलाओं को निम्नलिखित इलाज का सुझाव दे सकते है।

डॉक्टर से नियमित रूप से जांच करवाना

समय समय पर अल्ट्रासाउंड और गर्भास्थ शिशु की गतिविधियों पर नजर रखना

रोज घर पर ब्लड प्रेशर और शुगर लेवल की जांच करना

डॉक्टर के सुझाव के अनुसार पौष्टिक आहार लें

प्री एक्लेमप्सिया की स्थिति में आराम करें

अगर आपको हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का खतरा हो तो गर्भावस्था पहले से लेकर गर्भावस्था के दौरान हर रोज 400 माइक्रोग्राम फोलिक एसिड लेना

आवश्यक वेक्सिनेशन करवाना

पहले से ही कोई बीमारी हो तो उसके इलाज के लिए उपयोग किए जाने वाली दवाइयों की निगरानी रखना

किसी भी दवाइयां लेने से डॉक्टर से परामर्श करें, ओवर-द-काउंटर और प्रिस्क्रिप्शन दवाएं वहीं ले जो आपको डॉक्टर ने बताई हो

हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का निदान (Diagnosis of High Risk Pregnancy in Hindi)

• फिजिकल परिक्षण : गर्भवती महिला में दिख रहे लक्षण की जांच करने के लिए डॉक्टर उसके संकेतो के बारे में पूछ सकते हैं। साथ महिला के स्वास्थ्य की को कुछ दिनों तक निगरानी भी रख सकते हैं।

• अल्ट्रासाउंड : इसमें गर्भ के अंदर की स्थिति का पता लगाया जाता है। भ्रूण के विकास या फिर किसी असमानताओं का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड किया जाता है।‌ इससे शारीरिक विकास से संबंधित जांच की जाती है।

• जेनेटिक बीमारी : जेनेटिक बीमारी की संभावना हो तब महिला के जेनेटिक इतिहास के बारे में जाना जाता है। डॉक्टर गर्भवती महिला और उसके परिवार की स्वास्थ्य स्थिति से जुड़ी जानकारी पूछ सकते है।

• लेबोरेटरी परिक्षण : किसी भी तरह का संक्रमण, ब्लड प्रेशर, एनीमिया के बारे में जानने के लिए डॉक्टर ब्लड, युरीन और शरीर के टिशू के सेंपल की जांच के लिए कह सकते हैं। इस परिक्षण से विभिन्न बीमारियों का भी पता लगाया जा सकता है।

हाई रिस्क प्रेग्नेंसी से बचाव (Prevention of High Risk Pregnancy in Hindi)

हाई रिस्क प्रेग्नेंसी से बचने के लिए निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए।

• स्वास्थ्य की नियमित जांच : हाई रिस्क प्रेग्नेंसी की संभावना हो तो गर्भधारण करने से पहले और गर्भधारण करने के बाद डॉक्टर से परामर्श करें और नियमित शारीरिक जांच करवाएं। हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के लक्षण दिखने पर डॉक्टर से परामर्श करें।

• स्वस्थ वजन : मोटापे की वजह से कई शारीरिक बीमारियां हो सकती है, ऐसे में वजन को नियंत्रित करना जरूरी है।

• आराम करें : कोई भी काम करते वक्त बीच बीच में आराम करें। ज्यादा वजन न उठाए।

• धूम्रपान से बचें : हाई रिस्क प्रेग्नेंसी से बचने के लिए धूम्रपान, शराब और केफीन के सेवन से बचें।

• तनाव से दूर रहें : तनाव का सीधा प्रभाव शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है, ऐसे में खुद के स्वस्थ रखने के लिए योग और मेडिटेशन का सहारा ले और खुद को तनाव से दूर रखें।

और पढ़े : प्रेगनेंट होने का सही तरीका

निष्कर्ष

मातृत्व का अहसास सभी के लिए खास होता है, लेकिन अगर गर्भावस्था में जटिलताओं का सामना करना पड़े तो वह हर महिला के लिए मुश्किल बन सकता है। वैसे तो प्रेग्नेंसी के दौरान छोटी-बड़ी समस्याओं का सामना करना हीं पड़ता है, लेकिन कुछ समस्याओं में गर्भवती महिला और उसके गर्भस्थ शिशु पर जान का जोखिम हो सकता है, जिसे हाई रिस्क प्रेग्नेंसी (High Risk Pregnancy in Hindi) कहते हैं। ऐसे में महिला को बहुत सारी चीजों का ध्यान रखना पड़ता है। अगर आपको हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के बारे में अधिक जानकारी चाहिए, तो स्त्री विशेषज्ञ (Gynecologist/Obstetrician) से संपर्क कर सकते हैं। 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q1. हाई प्रेगनेंसी क्या होता है?

जब प्रेगनेंसी के दौरान महिला और उनके गर्भस्थ बच्चे की जान पर जोखिम भरी स्थिति उत्पन्न हो तो उसे हाई रिस्क प्रेग्नेंसी कहां जाता है।

Q2. हाई रिस्क प्रेगनेंसी के बचाव क्या है ?

हाई रिस्क प्रेगनेंसी से बचने के लिए डॉक्टर से नियमित जांच करवाना जरूरी है। अगर किसी को जेनेटिक समस्याएं हो तो गर्भधारण करने से पहले ही डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

Q3. हाई रिस्क प्रेगनेंसी होने का कारण क्या है?

 हाई रिस्क प्रेगनेंसी के लिए महिला की उम्र, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, मोटापा, जीवनशैली, पानी की थैली में समस्या जैसे कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं।

Q4. प्रेगनेंसी में क्या सावधानी बरतनी चाहिए?

प्रेगनेंसी के दौरान धूम्रपान, शराब, कैफीन युक्त पदार्थ से दूर रहें। डॉक्टर से नियमित जांच करवाएं और जरूरी दवाइयों का सेवन करें।

Dr. Rashmi Prasad

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Dr. Rashmi Prasad is a renowned Gynaecologist and IVF doctor in Patna. She is working as an Associate Director (Infertility and Gynaecology) at the Diwya Vatsalya Mamta IVF Centre, Patna. Dr. Rashmi Prasad has more than 20 years of experience in the fields of obstetrics, gynaecology, infertility, and IVF treatment.

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